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(२) अहो ! णं मए माउओयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसट्ठ तप्पढमयाए आहारो आहारेयदो भविस्सति।
(३) अहो ! णं मए कलमल-जंबालाए असुईए उव्वेयणियाए भोमाए गब्भवसहीए वसियवं भविस्सइ।
इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं देवे उब्वेगमागच्छेज्जा। २५०. (च्यवन काल निकट आने पर) तीन कारणों से देव उद्वेग को प्राप्त होता है(१) अहो ! मुझे इस प्रकार की उपार्जित, प्राप्त एवं हाथ आई हुई दिव्य देव-ऋद्धि, दिव्य देव-द्युति और दिव्य देवानुभाव को छोड़ना पड़ेगा।'
(२) अहो ! मुझे सर्वप्रथम माता के ओज (रज) और पिता के शुक्र (वीर्य) का सम्मिश्रण रूप आहार लेना होगा।
(३) अहो ! मुझे कलमल-जम्बाल (कीचड़) वाले अशुचि उद्वेग उत्पन्न करने वाले और भयानक गर्भाशय में रहना होगा।
इन तीनों कारणों से देव उद्वेग को प्राप्त होता है।
250. For these three reasons a dev (god) gets disturbed when the time of his descent approaches
(1) Alas ! I will have to abandon such earned, acquired and possessed divine opulence, radiance and powers.
(2) Alas! My first food intake will be in the form of the mixture of fi mother's menstrual discharge and father's semen. F (3) Alas ! I will have to live in a slimy, soiled, repulsive and horrifying
womb. ____For these three reasons adev (god) gets disturbed. विमान-पद VIMAAN-PAD (SEGMENT OF CELESTIAL VEHICLE)
२५१. तिसंठिया विमाणा पण्णत्ता, तं जहा-वट्टा, तंसा, चउरंसा।
(१) तत्थ णं जे ते वट्टा विमाणा, ते णं पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिया सव्वओ समंता पागारपरिक्खित्ता एगदवारा पण्णत्ता।
(२) तत्थ णं जे ते तंसा विमाणा, ते णं सिंघाडगसंठाणसंठिया दुहतोपागारपरिक्खित्ता एगतो । वेइया-परिक्खित्ता तिदुवारा पण्णत्ता। A (३) तत्थ णं जे ते चउरंसा विमाणा, ते णं अक्खाडगसंठाणसंठिया सव्वतो समंता । वेइयापरिक्खित्ता चउदुवारा पण्णत्ता। A २५१. विमान तीन प्रकार के संस्थान (आकार) वाले होते हैं-(१) वृत्त, (२) त्रिकोण, और । (३) चतुष्कोण।
| तृतीय स्थान
5)555555555555555555555555555555555555998
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Third Sthaan
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