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5 जीव वर्गीकरण-पद JIVA VARGIKARAN PAD (SEGMENT OF CLASSIFICATION OF BEINGS)
२०१. तिविधा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा- इत्थी, पुरिसा, णपुंसगा। २०२. तिविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा सम्मद्दिट्ठी, मिच्छाद्दिट्ठी, सम्मामिच्छद्दिट्ठी | अहवातिविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा- पज्जत्तगा, अपज्जत्तगा, गोपज्जत्तगा - णोऽपज्जत्तगा एवं सम्मद्दिट्ठी, परित्ता, पज्जत्तगा, सुहुम, सन्नि, भविया य ।
२०१. संसारी जीव तीन प्रकार के हैं - (१) स्त्री, (२) पुरुष, और (३) नपुंसक । २०२. अथवा
सभी जीव तीन प्रकार के हैं - (१) सम्यग्दृष्टि, (२) मिथ्यादृष्टि, और (३) सम्यग्मिथ्यादृष्टि । अथवा सब
5 जीव तीन प्रकार के हैं- (१) पर्याप्त, (२) अपर्याप्त, एवं (३) न पर्याप्त और न अपर्याप्त (सिद्ध) । इसी
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5 (सिद्ध); भव्य, अभव्य, नोभव्य - नोअभव्य भी (सिद्ध) जानना चाहिए।
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卐 (female), (2) purush (male), and (3) napumsak (neuter). 202. Also all
प्रकार सम्यग्दृष्टि, परीत (एक शरीर में एक जीव वाला), अपरीत (एक शरीर में अनन्त जीव वाला),
नोपरीत - नोअपरीत (सिद्ध); सूक्ष्म, बादर, नोसूक्ष्म-नोबादर (सिद्ध); संज्ञी, असंज्ञी, नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी
201. Sansari jiva (worldly beings) are of three kinds (1) stree
beings are of three kinds-(1) samyagdrishti (beings with right 5 perception / faith ), ( 2 ) mithyadrishti (beings with wrong perception / faith ),
and (3) samyagmithyadrishti (beings with right-wrong or mixed
卐 perception/faith). Also all beings are of three kinds-(1) paryapt (fully
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developed ), (2) aparyapt (underdeveloped ), and (3) noparyapt-noaparyapt फ (neither fully developed nor underdeveloped; Siddha). Like
samyagdrishti the same is true for-pareet (one soul in one body),
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卐 sukshma (minute), badar (gross) and nos ukshma-nobadar (Siddha);
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nopareet (multiple souls in one body) and pareet-nopareet (Siddha );
sanjni (sentient), asanjni (non-sentient) and nosanjni-noasanjni
फ (Siddha) and bhavya (worthy of being liberated), abhavya (unworthy of
5 being liberated) and nobhavya-noabhavya (Siddha ).
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5 लोक-स्थिति-पद LOKASTHITI - PAD (SEGMENT OF STRUCTURE OF UNIVERSE)
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२०३. तिविहा लोगटिती पण्णत्ता, तं जहा - अगासपइट्ठिए वाते, वातपइट्ठिए उदही,
उदहीपइट्ठिया पुढवी ।
२०३. लोक- स्थिति तीन प्रकार की है - आकाश पर धनवात तथा तनुवात प्रतिष्ठित है । घनवात
और तनुवात पर घनोद (हिम समुद्र) प्रतिष्ठित है और घनोदधि पर पृथ्वी प्रतिष्ठित - स्थित है।
203. Lokasthiti (structure of universe) is three tiered-ghanavaat
+ ( dense air) and tanuvaat (rarefied air) are located over akash (space). Ghanod (dense or frozen water) is located over ghanavaat and tanuvaat. 5 Prithvi (earth) is located over Ghanod.
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5 स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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