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55555555555555555555555555555555555 ॐ कि दिन रात का ऐसा कोई भी समय नहीं है, जिसमें आत्मा धर्म-श्रवण से लेकर विशुद्धबोधि आदि के म यावत् केवलज्ञान को न प्राप्त कर सके।
Elaboration—The popular meaning of yaam is a quarter of a day (three hours). But being in the third placement here the description is based on three divisions of a day. In other words one-third of a day or
night is called yaam. For example purvanha (morning), madhyanha 45 (noon) and aparanha (evening). This aphorism conveys that during the 4 day or night there is no such time when a soul cannot acquire religious
knowledge... and so on up to... omniscience. ऊ वयः-पद VAYAH-PAD (SEGMENT OF AGE)
१७३. तओ वया पण्णत्ता, तं जहा-पढमे वए, मज्झिमे वए, पच्छिमे वए। १७४. तिहिं वएहिं आया केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, तं जहा-पढमे वए, मज्झिमे वए, पच्छिमे वए। १७५. [ एसो चेव गमो णेयवो जाव केवलनाणं ति।]
१७३. वय (अवस्था) तीन हैं-प्रथमवय, मध्यमवय और पश्चिमवय। १७४. तीनों ही वयों में ॐ आत्मा केवलि-भाषित धर्म-श्रवण का लाभ प्राप्त करता है-प्रथमवय में, मध्यमवय में और पश्चिमवयफ + में। १७५. [इसी प्रकार तीनों ही वयों में आत्मा विशुद्धबोधि (सम्यग्दर्शन) को, विशुद्ध अनगारिता को,
ब्रह्मचर्यवास संवर, आभिनिबोधिक ज्ञान, मनःपर्यवज्ञान यावत् केवलज्ञान को प्राप्त करता है। म 173. Vaya (age; of a man) is of three kinds-pratham vaya (young age), 5
madhyam vaya (middle age) and pashchim vaya (old age). 174. During all
the three vayas soul gains benefit of listening to the religion propagated 41 by the Omniscient-pratham vaya (young age), madhyam vaya (middle 4
age) and pashchim vaya (old age). 175. [In the same way during all the three vayas soul attains pure enlightenment, pure anagarita (ascetic life), perfect celibacy, perfect samvar, pure abhinibodhik-jnana, pure manahparyav-jnana... and so on up to... Keval-jnana.]
विवेचन-संस्कृत टीकाकार ने एक प्राचीन श्लोक को उद्धृत करके कहा है- “सोलह वर्ष तक ॐ बाल्यकाल, सत्तर वर्ष तक ज्यमकाल और इससे आगे वृद्धकाल होता है। साधु दीक्षा आठ वर्ष के पूर्व ॐ
नहीं देने का विधान है, अतः प्रस्तुत संदर्भ में प्रथमवय का अर्थ आठ वर्ष से लेकर तीस वर्ष तक का है
कुमारकाल होना चाहिए। इकतीस वर्ष से लेकर साठ वर्ष तक के समय को युवावस्था या मध्यमवय 5 और उससे आगे की वृद्धावस्था को पश्चिमवय जानना चाहिए। इससे यह सिद्ध होता है कि बाल्यवय में भी आत्मा केवलज्ञान प्राप्त कर मुक्त हो सकता है।"
Elaboration-Quoting an ancient verse, the Sanskrit commentator states that up to sixteen years it is young age, then up to seventy years it
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| स्थानांगसूत्र (१)
(220)
Sthaananga Sutra (1)
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