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5 Tirthankar Charitra, appendix 12 )
फ्र
卐 area). (for more details about epoch makers refer to Illustrated
(2) The wife of a chakravarti has shankhavart yoni. Within a
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卐 shankhavart yoni numerous living beings are created and destroyed regularly but they do not mature to be born.
(3) Mothers of common people have vanshipatrika yoni. A vanshipatrika yoni gives birth to many common men.
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5 तृणवनस्पति- पद TRINAVANASPATI-PAD (SEGMENT OF GRAMINEOUS PLANTS)
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१०४. तिविहा तणवणस्सइकाइया पण्णत्ता, तं जहा - संखेज्जजीविका, असंखेज्जजीविका, फ्र अणंतजीविका ।
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फ़फ़
१०४. तृणवनस्पतिकायिक जीव तीन प्रकार के होते हैं- (१) संख्यात जीवों वाले (नाल से बँधे
हुए
पुष्प), (२) असंख्यात जीवों वाले (वृक्ष के मूल, कन्द, स्कन्ध, त्वक्-छाल, शाखा और प्रवाल), और (३) अनन्त जीवों वाले (पनक, फफूँदी, लीलन- फूलन आदि) ।
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(roots, bulbous roots, trunks, bark, branches and sprouts of trees), and
5 (3) with infinite beings (moss, fungus, mildew etc.)
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5 तीर्थ - पद TIRTH-PAD (SEGMENT OF PILGRIMAGE)
104. Gramineous plant-bodied beings are of three kinds (1) with 5
countable beings (flowers with stems), (2) with innumerable beings
१०५. जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तओ तित्था पण्णत्ता, तं जहा -मागहे, वरदामे, पभासे । १०६. एवं एरवए वि । १०७. जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्कवट्टिविजये तओ तित्था पण्णत्ता, तं जहा -मागहे, वरदामे, पभासे । १०८. एवं - धायइसडे दीवे पुरत्थिमद्धे वि पच्चत्थिमद्धे वि । पुक्खरवरदीवद्धे पुरत्थमद्धे वि, पच्चत्थिमद्धे वि ।
१०५. जम्बूद्वीप द्वीप के भारतवर्ष में तीन तीर्थ होते हैं - (१) मागध, (२) वरदाम, और (३) प्रभास । १०६. ऐरवत क्षेत्र में भी इसी प्रकार तीन तीर्थ होते हैं । १०७. जम्बूद्वीप द्वीप महाविदेह क्षेत्र में एक-एक चक्रवर्ती के विजयखण्ड में तीन-तीन तीर्थ होते हैं - (१) मागध, (२) वरदाम, और (३) प्रभास । १०८. धातकीषण्ड तथा पुष्करार्ध द्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में 5 भी इसी प्रकार तीन-तीन तीर्थ होते हैं ।
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स्थानांगसूत्र (१)
1 95 95 95 95 96 95 5 5 5 5 5 5 5959595959595555959595959595955 59595959@
105. In Bharat Varsh in Jambu Dveep continent there are three tirthas (places of pilgrimage)-(1) Maagadh, (2) Varadam, and (3) Prabhas. 106. In the same way there are three pilgrimage-places in Airavat area. 107. In फ्र
फ्र
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Sthaananga Sutra (1)
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