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विवेचन - शुभ (असंक्लिष्ट) लेश्या - ( १ ) तेजो, (२) पद्म, और (३) शुक्ललेश्या । अशुभ ( संक्लिष्ट ) 5
लेश्या - (१) कृष्ण, (२) नील, और (३) कापोतलेश्या ।
Elaboration-Shubh (auspicious) or asanklisht (not pain causing or 5
5 bright) leshyas (complexions of soul) – ( 1 ) tejoleshya (fiery complexion of soul), (2) padma leshya (yellow complexion of soul), and (3) shukla leshya (white complexion of soul). Ashubh ( inauspicious) or sanklisht (pain causing or gloomy ) leshyas (complexions of soul) – ( 1 ) krishna leshya फ्र 5 (black complexion of soul), (2) neel leshya (blue complexion of soul), and 5 (3) hapot leshya (pigeon complexion of soul).
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5 तारारूप-चलन- पद TARARUPA CHALAN PAD OF FORM AND FALL OF STARS)
६९. तिर्हि ठाणेहिं तारारूवे चलेज्जा, तं जहा - विकुव्यमाणे वा, परियारेमाणे वा, ठाणाओ वा
ठाणं संकममाणे तारारूवे चलेज्जा ।
६९. तीन कारणों से तारा चलित होते हैं - (१) वैक्रिय रूप करते हुए, (२) परिचारणा करते हुए, और (३) एक स्थान से दूसरे स्थान में संक्रमण करते हुए ।
देव - विक्रिया- पद DEV-VIKRIYA-PAD (SEGMENT OF SELF-MUTATION OF GODS)
69. Due to three reasons Tara (stellar gods or stars) appear to be
5 falling – ( 1 ) when undergoing self-mutation ( vaikriya rupa ), ( 2 ) when 5 indulging in sexual act (paricharana), and ( 3 ) when shifting from one 卐 place to another (sankraman).
७०. तिर्हि ठाणेहिं देवे विज्जुयारं करेज्जा, तं जहा - विकुव्यमाणे वा, परियारेमाणे वा, तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा इडि जुतिं जसं बलं वीरियं पुरिसक्कार - परक्कम उवदंसेमाणे देवे विज्जुयारं करेज्जा । ७१. तिहिं ठाणेहिं देवे थणियसद्दं करेज्जा, तं जहा - विकुव्वमाणे वा, एवं जहा - विजुयारं तव थणियसद्दं ।
७०. तीन कारणों से देव विद्युत्कार (विद्युत्प्रकाश) करते हैं - (१) वैक्रियरूप करते हुए, (२) परिचारणा करते हुए, और (३) तथारूप श्रमण माहन के सामने अपनी ऋद्धि, द्युति, यश, बल, वीर्य, पुरुषकार तथा पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए । ७१. तीन कारणों से देव मेघ जैसी गर्जना (स्तनित शब्द ) करते हैं- (१) वैक्रिय रूप करते हुए, (२) परिचारणा करते हुए, और (३) तथारूप श्रमण माहन के सामने अपनी ऋद्धि, घुति, यश, बल, वीर्य, पुरुषकार तथा पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए।
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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70. Due to three reasons devas (divine beings) appear to be doing vidyutkar (emitting spurts of light like lightening)-(1) when undergoing self-mutation (vaikriya rupa ), ( 2 ) when indulging in sexual act 5 (paricharana), and (3) when displaying their riddhi (opulence), dyuti
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