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चित्र परिचय ९
तीन
प्रकार के वृक्ष : तीन प्रकार के उत्तम पुरुष
वृक्ष -
(१) कुछ वृक्ष बहुत सघन पत्तों वाले होते हैं जैसे वट का वृक्ष इसकी छाया में पशु, पक्षी, मानव आदि आश्रय लेते हैं किन्तु इससे फल नहीं मिलता। इसी प्रकार कुछ पुरुष केवल दूसरों को छाया की भाँति थोड़ा आश्रय मात्र देते हैं ।
(२) कुछ वृक्ष फूलों से भरे होते हैं, उनकी सुगन्ध से बहुतों को तृप्ति व प्रसन्नता मिलती है। इसी प्रकार कुछ मनुष्य दूसरों को थोड़ा सहयोग कर मधुर वचनों से सान्त्वना देकर सुख पहुँचाते हैं ।
(३) आम की तरह कुछ वृक्ष सघन छाया और मधुर फल देकर बहुतों का उपकार करते हैं। परोपकारी मनुष्य आम की तरह विविध प्रकार से जनता को लाभ पहुँचाते हैं।
Illustration No. 9
पुरुष
संसार में उत्तम पुरुष भी तीन प्रकार के होते हैं- (१) उत्तम धर्म पुरुष-अरिहंत देव, धर्म व सद्ज्ञान से सम्पूर्ण संसार का उपकार करते हैं । (२) उत्तम भोग पुरुष- षट्खण्ड चक्रवर्ती सम्राट् जो पूर्वोपार्जित पुण्यों से अपार ऐश्वर्य व सुखों का भोग करते हैं । (३) उत्तम कर्म पुरुष - त्रिखण्डाधीश्वर वासुदेव। अपने बल पराक्रम व नीतिमत्ता से संसार में सज्जनों का संरक्षण व दुर्जनों का विनाश करते हैं ।
-स्थान ३, सूत्र २८
THREE KINDS OF TREES: THREE KINDS OF NOBLE MEN
Tree—
(1) Some trees are very dense, such as banyan tree. Under its shade animals, birds, humans and other beings take refuge but no fruits are available. In the same way some men provide only little help to others.
Man
(2) Some trees are filled with flowers, which provide joy and contentment to many. In the same way some men please others by a little help and sweet words.
- स्थान ३, सूत्र ३३
(3) Like a mango tree some trees provide shade as well as fruits to benefit many. Generous persons benefit masses many ways like a mango tree.
--Sthaan 3, Sutra 28
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Noble persons are also of three kinds (1) Uttam Dharma Purush-Arihant Dev benefits the whole world through his religion and right knowledge. (2) Uttam Bhog Purush-Shatkhand Chakravarti (emperor) who enjoy immense grandeur and happiness due to meritorious karmas acquired in the past. (3) Uttam Karma Purush-Vasudev, the monarch of three parts of the land. They annihilate the evil and protect the noble in the world through their strength, power and justice.
- Sthaan 3, Sutra 33
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