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| चित्र परिचय ७ |
Illustration No.7
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मरण के विविध भेद दो प्रकार का मरण प्रशस्त (श्रेष्ठ) होता है-(१) भक्त प्रत्याख्यान मरण-साधक पूर्ण समाधि भाव के साथ आहार का त्याग कर स्वाध्याय ध्यान करता हुआ प्राण त्यागता है। इस समय में अन्य श्रमण शास्त्र सुनाकर तथा विविध प्रकार से परिचर्या कर उसे समाधि पहुंचाते हैं। (२) प्रायोपगमन मरण-कटे वृक्ष की तरह निश्चेष्ट होकर समाधि भाव में स्थिर हो जाना। इन दोनों मरण वाला आयुष्य पूर्ण कर कल्प विमान में या सर्व कर्म क्षय कर मोक्ष में जाता है। ___ अप्रशस्त मरण-यह अनेक प्रकार का है-निदान मरण-जीवनभर तप करके अन्तिम समय में स्वर्ग या चक्रवर्ती आदि के भोग-सुखों की कामना रखते हुए मरना। गिरि पतन-तरु पतन, जल प्रवेश, शस्त्र घात, गले में फाँसी लटकाकर, (वेहायसमरण) विष खाकर इत्यादि आर्त्त-रौद्र ध्यान पूर्वक प्राण त्यागना, अप्रशस्त मरण है। अप्रशस्त मरण वाला मरकर क्रूर तिर्यंच गति में या नरक गति में उत्पन्न होता है। चित्र में ऊपर प्रशस्त मरण तथा नीचे अप्रशस्त मरण के विभिन्न प्रकार बताये हैं।
-स्थान २, सूत्र ४११-४१६ ।
DIFFERENT KINDS OF DEATH Two kinds of death is noble-(1) Bhakta-pratykhyan Maran-The aspirant abandons food with complete serenity and goes into a state of meditation before dying. During this period other ascetics recite scriptures and provide care to ensure a peaceful end. (2) Prayopagaman Maran--the aspirant lies down on a bed motionless like an uprooted tree and commences last meditation. These two deaths lead to reincarnation in Kalp Vimaans or liberation after shedding all karmas.
Ignoble death-It is of many kinds-Nidaan maran is to die with desire for bliss of heaven or pleasures of an emperor as fruits of life spent in austerities. Other kinds of ignoble death are--death in agitated and angry state of mind by falling from a hill or a tree, drowning in water, using a weapon, hanging, consuming poison. Ignoble death leads to rebirth as animal or infernal being. The illustration shows noble death in the first two frames and ignoble in the rest.
-Sthaan 2, Sutra 411-416
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