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331. In the western half of Dhatakikhand continent there are two
areas (land masses) north and south of the Mandar mountain-Bharat
(in the south) and Airavat (in the north). These two land masses have the same area... and so on up to... they do not overlap each other.
३३२. एवं जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव छव्विहंपि कालं पच्चणुभवमाणा
विहरंति, तं जहा - भरहे चेव, एरवए चेव, णवरं - कूडसामली चेव, महाधायईरुक्खे चेव । देवा गरुले
चेव वेणुदेवे, पियदंसणे चेव ।
और
३३२. जैसा जम्बूद्वीप के प्रकरण में वर्णन है, वैसा ही यहाँ पर भी कहना चाहिए, यावत् भरत ऐरवत इन दोनों क्षेत्रों में मनुष्य छहों ही कालों का अनुभव करते हैं। विशेष इतना है कि यहाँ वृक्ष दो हैं - कूटशाल्मली और महाधातकी वृक्ष । कूटशाल्मली पर गरुड़कुमार जाति का वेणुदेव और महाधातकी वृक्ष पर प्रियदर्शन देव रहता है।
३३३. धातकीषण्ड द्वीप में दो भरत, दो ऐरवत, दो हैमवत, दो हैरण्यवत, दो हरिवर्ष, दो रम्यक्वर्ष, दो पूर्वविदेह, दो अपरविदेह, दो देवकुरु, दो देवकुरुमहाद्रुम, दो देवकुरुमहाद्रुमवासी देव, दो 5 उत्तरकुरु, दो उत्तरुकुरुमहाद्रुम और दो उत्तरुकुरुमहाद्रुमवासी देव हैं । ३३४. वहाँ दो चुल्लहिमवान्, दो महाहिमवान्, दो निषध, दो नीलवान्, दो रुक्मी और दो शिखरी वर्षधर पर्वत हैं । ३३५. वहाँ दो शब्दापाती, दो शब्दापातिवासी स्वातिदेव, दो विकटापाती, दो विकटापातिवासी प्रभासदेव, दो गन्धापाती, दो गन्धापातिवासी अरुणदेव, दो माल्यवानपर्याय, दो माल्यवानपर्यायवासी पद्मदेव, ये वृत्त वैताढ्य पर्वत और उन पर रहने वाले देव हैं।
स्थानांगसूत्र (१)
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332. In the same way all that has been mentioned about Jambu 卐 continent should be repeated here (in context of Dhatakikhand continent)... up to... people living in Bharat area and Airavat area beget and experience conditions prevalent in all the six epochs. The only change is that here the two great trees are Kootshalmali and Mahadhataki. On Kootshalmali tree lives Venudev, a god belonging to the Garud Kumar class and on Mahadhataki tree lives Priyadarshan Dev.
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३३३. धायइसंडे णं दीवे दो भरहाई, दो एरवयाई, दो हेमवयाई, दो हेरण्णवयाई, दो हरिवासाई, दो रम्मगवासाई, दो पुव्वविदेहाई, दो अवरविदेहाई, दो देवकुराओ, दो देवकुरुमहद्दुमा, दो देवकुरुमहद्दुमवासी देवा, दो उत्तरकुराओ, दो उत्तरकुरुमहद्दुमा, दो उत्तरकुरुमहद्दुमवासी देवा। ३३४. दो चुल्लहिमवंता, दो महाहिमवंता, दो णिसढा, दो णीलवंता, 卐 दो रुप्पी, दो सिहरी । ३३५. दो सद्दावाती, दो सद्दावातिवासी साती देवा, दो वियडावाती, दो फ वियडावातिवासी पभासा देवा, दो गंधावाती, दो गंधावातिवासी अरुणा देवा, दो मालवंतपरियागा, क दो मालवंत परियागवासी पउमा देवा ।
Sthaananga Sutra (1)
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