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________________ ))))))5555555555555555555 B))))))) )))))))) )))))) )))))) ))))) महाग्रह-पद MAHAGRAHA-PAD (SEGMENT OF GREAT PLANETS) ३२५. दो इंगालगा, दो वियालगा, दो लोहितक्खा, दो सणिच्चरा, दो आहुणिया, दो पाहुणिया, दो कणा, दो कणगा, दो कणकणगा, दो कणगविताणगा, दो कणगसंताणगा, सोमा, दो सहिया, दो आसासणा, दो कज्जोवगा, दो कब्बडगा, दो अयकरगा, दो दुंदुभगा, दो संखा, दो संखवण्णा, दो संखवण्णाभा, दो कंसा, दो कंसवण्णा, दो कंसवण्णाभा, दो रुप्पी, दो रुप्पाभासा, दो णीला, दो णीलोभासा, दो भासा, दो भासरासी, दो तिला, दो तिलपुप्फवण्णा, दो दगा, दो दगपंचवण्णा, दो काका, दो कक्कंधा, दो इंदग्गी, दो धूमकेऊ, दो हरी, दो पिंगला, दो . बुद्धा, दो सुक्का, दो बहस्सती, दो राहू, दो अगत्थी, दो माणवगा, दो कासा, दो फासा, दो धुरा, ॐ दो पमुहा, दो विगडा, दो विसंधी, दो णियल्ला, दो पइल्ला, दो जडियाइलगा, दो अरुणा, दो के अग्गिल्ला, दो काला, दो महाकालगा, दो सोत्थिया, दो सोवत्थिया, दो वद्धमाणगा, दो पलंबा, दो + णिच्चालोगा, दो णिच्चुज्जोता, दो सयंभा, दो ओभासा, दो सेयंकरा, दो खेमंकरा, दो आभंकरा, दो पभंकरा, दो अपराजिता, दो अरया, दो असोगा, दो विगतसोगा, दो विमला (दो वितता, दो # वितत्था), दो विसाला, दो साला, दो सुव्वता, दो अणियट्टी, दो एगजडी, दो दुजडी, दो करकरिगा, दो रायग्गला, दो पुप्फकेतू, दो भावकेऊ [चारं चरिंसु वा चरंति वा चरिस्संति वा ]। ३२५. जम्बूद्वीप द्वीप में दो अंगारक, दो विकालक, दो लोहिताक्ष, दो शनिश्चर, दो आहुत, दो प्राहुत, दो कन, दो कनक, दो कनकनका, दो कनकवितानक, दो कनकसन्तानक, दो सोम, दो सहित, दो के आश्वासन, दो कार्योपग, दो कर्वटक, दो अजकरक, दो दुन्दुभक, दो शंख, दो शंखवर्ण, दो शंखवर्णाभ, के दो कंस, दो कंसवर्ण, दो कंसवर्णाभ, दो रुक्मी, दो रुक्माभास, दो नील, दो नीलाभास, दो भस्म, दो भस्मराशि, दो तिल, दो तिलपुष्पवर्ण, दो दक, दो दकपंचवर्ण, दो काक, दो कर्कन्ध, दो इन्द्राग्नि, दो धूमकेतु, दो हरि, दो पिंगल, दो बुद्ध, दो शुक्र, दो बृहस्पति, दो राहु, दो अगस्ति, दो मानवक, दो काश, म दो स्पर्श, दो धुर, दो प्रमुख, दो विकट, दो विसन्धि, दो णियल्ल, दो पइल्ल, दो जडियाइलग, दो अरुण, दो अग्निल, दो काल, दो महाकालक, दो स्वस्तिक, दो सौवस्तिक, दो वर्धमानक, दो प्रलम्ब, दो म नित्यालोक, दो नित्योद्योत, दो स्वयंप्रभ, दो अवभास, दो श्रेयस्कर, दो क्षेमंकर, दो आभंकर, दो प्रभंकर, 卐 दो अपराजित, दो अजरस्, दो अशोक, दो विगतशोक, दो विमल, दो विवत, दो वित्रस्त, दो विशाल, में दो शाल, दो सुव्रत, दो अनिवृत्ति, दो एकजटिन्, दो जटिन्, दो करकरिक, दो राजार्गल, दो में पुष्पकेतु, दो भावकेतु-इन ८८ महाग्रहों ने चार (संचरण) किया था, चार करते हैं और चार करेंगे।' (प्रत्येक चन्द्र के २८ नक्षत्र और प्रत्येक सूर्य के ८८ महाग्रह का परिवार होता है) 325. In Jambu continent there are eighty eight great planets (in sets of two) that did, do and will orbit around (each sun). Their names are-two Angarak, two Viakalak, two Lohitaksh, two Shanishchar, two Ahut, two Prahut, two Kan, two Kanak, two Kanakanaka, two Kanakavitanak, two F Kanaksantanak, two Soma, two Sahit, two Ashvasan, two Karyopag, | द्वितीय स्थान Second Sthaan 8595555555555555555555555555555555555 anana (133) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002905
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages696
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size21 MB
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