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B5555555 55555555555555555555558 45. Elaboration The statement in aphorisms 309 to 311 means that 55 $ when Arihant, Chakravarti, Baladev and Vasudev are born in Bharat 4
area at the same time they are also born in Airavat area. Two lineages have been stated in context of these two areas. In Bharat area first of
all Shakrendra (overlord of gods of first heaven) joins the birth ceremony 5 of Tirthankars and in Airavat area the same duty is performed $i by Ishanendra (overlord of gods of second heaven). In Bharat area
24 Tirthankars, 12 Chakravartis, 9 Baladevas, 9 Vasudevas and 9 Prativasudevas are born during one Avasarpini. (for details about Shalaka Purush refer to Illustrated Kalpasutra, appendix 5, pp. 87-289) कालानुभाव-पद KAALANUBHAAVA-PAD (SEGMENT OF TIME-EXPERIENCE)
३१६. जंबुद्दीवे दीवे दोसु कुरासु मणुया सया सुसम-सुसममुत्तमं इडिं पत्ता पच्चणुभवमाणा ॐ विहरंति, तं जहा-देवकुराए चेव, उत्तरकुराए चेव। ३१७. जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया .
सया सुसममुत्तमं इडिं पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा-हरिवासे चेव, रम्मगवासे चेव। ३१८. जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसम-दूसममुत्तममिड्डिं पत्ता पच्चणुभवमाणा
विहरंति, तं जहा-हेमवए चेव, हेरण्णवए चेव। ३१९. जंबुद्दीवे दीवे दोसु खेत्तेसु मणुया सया ॐ दूसमसुसम-मुत्तममिट्टि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा-पुब्वविदेहे चेव, अवरविदेहे चेव।
३२०. जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया छब्विहंपि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा-भरहे + चेव, एरवते चेव। ॐ ३१६. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण के देवकुरु और उत्तर में उत्तरकुरु में रहने वाले 卐 मनुष्य सदा सुषम-सुषमा नामक प्रथम आरे की उत्तम ऋद्धि (सुख आदि) को प्राप्त कर उसका अनुभव
करते रहते हैं। ३१७. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में हरिवर्ष और उत्तर में रम्यकवर्ष में के रहने वाले मनुष्य सदा सुषमा नामक दूसरे आरे की उत्तम ऋद्धि को प्राप्त कर उसका अनुभव करते हैं।
३१८. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में हैमवत क्षेत्र में और उत्तर के हैरण्यवत क्षेत्र में रहने वाले मनुष्य सदा सुषम-दुषमा नामक तीसरे आरे की उत्तम ऋद्धि को प्राप्त कर उसका अनुभव करते रहते हैं। ३१९. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में पूर्व विदेह और पश्चिम में अपर-(पश्चिम)
विदेह क्षेत्र में रहने वाले मनुष्य सदा दुषम-सुषमा नामक चौथे आरे की उत्तम ऋद्धि का अनुभव करते में रहते हैं। ३२०. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में भरत क्षेत्र और उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में के रहने वाले मनुष्य छहों प्रकार के काल का अनुभव करते हुए जीवन व्यतीत करते हैं।
316. In Jambu continent people living in Dev Kuru and Uttar Kuru, south and north of Mandar Mountain respectively, always beget and i experience the excellent attainments (wealth, happiness etc.) prevalent in i
the first epoch called Sukham-sukhama (period of extreme happiness).
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स्थानांगसूत्र (१)
(130)
Sthaananga Sutra (1)
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