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| चित्र परिचय ६ ।
Illustration No.6
जन्म-मरण के वाचक भिन्न-भिन्न शब्द सभी संसारी प्राणियों का जन्म-मरण होता है, परन्तु योनि के अनुसार उनके लिए भिन्न-भिन्न शब्दों का 8 प्रयोग किया जाता है। जैसे देवता और नारकों के लिए उपपात । देवता स्वर्ग में फूलों की शय्या में उत्पन्न होते ही ४८ मिनट में युवा जैसा दीखने लगता है। नारकी जीव कंभी में उल्टा उत्पन्न होता है।
उद्वर्तन-नारकी और भवनवासी देव (तिर्यक् लोक में रहने वाले) आयुष्य पूर्ण कर नीचे से ऊपर जाते हैं, अतः वहाँ से उनका मरण उद्वर्तन कहा जाता है।
च्यवन-देवता आयुष्य पूर्ण होने पर स्वर्ग विमान छोड़कर नीचे तिर्यक् लोक में जाते हैं, उनका मरण, च्यवन (पतन) है। मनुष्य व तिर्यंच (पशु) का जन्म गर्भ व्युत्क्रान्ति-(गर्भ से बाहर आना) कहा जाता है।
-स्थान २, उ. ३, सूत्र २५०-२५३ निरुपक्रम आयुष्य-देवता, नारक जीव, तीर्थंकर व चक्रवर्ती आदि शलाकापुरुष एवं युगलिया, इनका आयुष्य निरुपक्रम होता है, अर्थात् अकाल मरण नहीं होता। ___ मनुष्य तथा सभी तिर्यंच-पशु-पक्षी जलचर आदि जीव पूर्णायु भी भोगते हैं तथा अकाल मृत्यु भी प्राप्त कर सकते हैं। इनका आयुष्य सोपक्रम है। चित्र में इन सबको दिखाया है।
-स्थान २, उ. ३, सूत्र २६६-२६७
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DIFFERENT WORDS FOR BIRTH AND DEATH All worldly beings undergo birth and death but based on the specific genus different terms are used for that. For example birth of gods or infernal beings is called Upapat. Gods are born in the divine abode on a bed of flowers and within forty eight minutes their gain their full growth to look young. Infernal beings are born upside down in a pitcher.
Udvartan-Naaraks and Bhavanvasi devs (living in Tiryaklok) reincarnate in higher realms after their death, therefore their death is called udvartan (going up).
Chyavan-Gods reincarnate in lower realms after their death, therefore their death is called chyavan (going down). Birth of humans and animals is called Garbha vyutkranti (birth from womb).
-Sthaan 2, Lesson 3, Sutra 250-253 Nirupakram Ayushya-The life span of Gods, infernal beings, Tirthankar, Chakravarti and other Shalakapurush as well as twins is called Nirupakram or without a chance of untimely death.
Humans and all animals including birds and aquatic beings may die after completing their normal life span and untimely too. Their life span is called Sopakram. Illustration shows all these.
-Sthaan 2, Lesson 3, Sutra 266-267
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