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4 acquire laterally touching particles, eyes acquire image without touch. Hi Particles carrying sensation of smell, flavour and touch are acquired through lateral touching and bonding.
२३१. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा-परियादितच्चेव, अपरियादितच्चेव। २३१. पुद्गल दो प्रकार के हैं-परियादित और अपरियादित।
231. Pudgals are of two kinds-pariyadit (transformed) and apariyadit (un-transformed).
विवेचन-टीकाकार ने ‘परियादित' और 'अपरियादित' इन दोनों प्राकृत पदों का संस्कृत रूपान्तर दोदो प्रकार से किया है-पर्यायातीत और अपर्यायातीत। पर्यायातीत का अर्थ है, जो अपनी पर्याय अवस्था म को पार कर चुका है और अपर्यायातीत का अर्थ है अपनी अवस्था में अवस्थित पुद्गल। जैसे दूध, दूध ॥
अवस्था में अपर्यायातीत है, किन्तु जमकर दही बनने पर पर्यायातीत हो जाता है। दूसरा संस्कृत रूप पर्यात्त । और अपर्यात्त है। जीव ने जिन पुद्गलों को कर्म, शरीर, भाषा और श्वासोच्छ्वास के रूप में सब ओर से ग्रहण किया है, उन्हें पर्यात्त कहते हैं तथा जिनको किसी जीव ने ग्रहण नहीं किया वे अपर्यात्त पुद्गल कहलाते हैं। (हिन्दी टीका, पृष्ठ २१२)
Elaboration—The commentator (Tika) has transliterated these two Prakrit terms pariyadit and apariyadit in two ways. First is paryayateet and aparyayateet. Paryayateet means that which has undergone modal transformation and aparyayateet means that which has not undergone modal transformation and is in its original state. For example milk in its state of milk is aparyayateet and when turned into curd it is paryayateet. The second is paryatt and aparyatt. Paryatt pudgal means those matter particles that a soul has acquired from all directions in the form of karma, body, speech and breathing. Aparyatt pudgal means those virgin 41 particles that have not yet been acquired by any soul. (Hindi Tika, p. 212) ।
२३२. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा-अत्ता चेव, अणत्ता चेव। २३२. पुद्गल दो प्रकार के हैं-आत्त (जीव के द्वारा गृहीत) और अनात्त (जीव के द्वारा अगृहीत)।
232. Pudgals are of two kinds--aatta (acquired by soul) and anaatta (not acquired by soul).
२३३. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा-इट्ठा चेव, अणिट्ठा चेव। कंता चेव, अकंता चेव, पिया चेय, अपिया चेव मणुण्णा चेव, अमणुण्णा चेव। मणामा चेव, अमणामा चेव।
२३३. पुद्गल दो प्रकार के हैं-(१) इष्ट और (२) अनिष्ट; (३) कान्त और (४) अकान्त; (५) प्रिय और (६) अप्रिय; (७) मनोज्ञ और (८) अमनोज्ञ; (९) मनाम और (१०) अमनाम।
नागाना
LELLELE LE LECCIPI
द्वितीय स्थान
(105)
Second Sthaan
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