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5 परेण वा पोग्गला भिज्जति । २२३. दोहिं ठाणेहिं परिपडंति, तं जहा - सई वा पोग्गला परिपडंति, परेण वा पोग्गला परिपडंति । २२४. दोहिं ठाणेहिं पोग्गला परिसडंति, तं जहा-सई वा पोग्गला
परिसडंति, परेण वा पोग्गला परिसडंति । २२५. दोहिं ठाणेहिं पोग्गला विद्धंसति, तं जहा - सई वा पोग्गला विद्वंसति, परेण वा पोग्गला विद्वंसति ।
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221. Pudgals (matter particles) combine (samhat) for two reasons— they combine of their own (like clouds) and also due to outside causes f including human effort. 222. Pudgals (matter particles) disintegrate (vighatit) for two reasons-they disintegrate on their own and also due to outside causes. 223. Pudgals (matter particles) fall for two reasons— they fall on their own (like fruits) and also due to outside causes. 224. Pudgals (matter particles) deform or decay (vikrit) for two reasons— F they deform or decay due to their own nature (like stale food) and also due to outside causes including human effort (through mechanical and chemical processes). 225. Pudgals (matter particles) get destroyed (vidhvamsa) for two reasons-they get destroyed on their own (like spilled water) and also due to outside causes.
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२२१. दो कारणों से पुद्गल संहत (एकत्र ) होते हैं - स्वयं अपने स्वभाव से (मेघादि के समान) और पुरुष के प्रयत्न आदि दूसरे निमित्तों से भी पुद्गल संहत होते हैं । २२२. दो कारणों से पुद्गल विघटित होते हैं- स्वयं अपने स्वभाव से और दूसरे निमित्तों से भी । २२३. द। कारणों से पुद्गल नीचे
गिरते हैं - स्वयं अपने स्वभाव से (जैसे- पकने फल) और दूसरे निमित्तों से भी । २२४. दो कारणों से फ्र पुद्गल विकृत होते हैं - स्वयं अपने स्वभाव से (बासी होने पर खाद्य पदार्थ की तरह) और दूसरे शस्त्रछेदनादि या रासायनिक निमित्तों से भी विकृत होते हैं । २२५. दो कारणों से पुद्गल विध्वंस (नाश) को प्राप्त होते हैं - स्वयं अपने स्वभाव से (जैसे- जमीन पर पड़ा पानी) और दूसरे निमित्तों से भी ।
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२२६. दुबिहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा - भिण्णा चेव, अभिण्णा चेव । २२७. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा - भेउरधम्मा चेव, णोभेउरधम्मा चेव । २२८. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, सं जहा - परमाणुपोग्गला चेव, णोपरमाणुपोग्गला चेव । २२९. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहासुरुमा चेव, बायरा चेव । २३०. दुविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा - बद्धपासपुट्ठा चेव,
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गोबद्धपासपुट्ठा चेव ।
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5 २२६. सभी पुद्गल दो प्रकार के हैं - भिन्न (विघटित ) और अभिन्न ( संहत) । २२७. पुद्गल दो प्रकार के हैं - भिदुरधर्मा (स्वयं ही भेद को प्राप्त होने वाले, जैसे- हवा में रखा बर्फ, कपूर आदि) और नोभिदुरधर्मा (स्वयं भेद को नहीं प्राप्त होने वाले, जैसे - सोना, रत्न आदि) । २२८. पुद्गल दो प्रकार के हैं- परमाणु पुद्गल और नोपरमाणु रूप ( स्कन्ध) पुद्गल । २२९. पुद्गल दो प्रकार के हैं - सूक्ष्म और
द्वितीय स्थान
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