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ॐ धर्म-पद DHARMA-PAD (SEGMENT OF RELIGION)
१०७. दुविहे धम्मे पण्णत्ते, तं जहा-सुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे चेव। १०८. सुयधम्मे दुविहे ॐ पण्णत्ते, तं जहा-सुत्तसुयधम्मे चेव, अत्थसुयधम्मे चेव। १०९. चरित्तधम्मे दुविहे पण्णत्ते,
तं जहा-अगारचरित्तधम्मे चेव, अणगारचरित्तधम्मे चेव। म १०७. धर्म दो प्रकार का है-श्रुतधर्म-(द्वादशांगश्रुत का स्वाध्याय करना) और चारित्रधर्म
(सम्यक्त्व, व्रत, समिति आदि का आचरण करना)। १०८. श्रुतधर्म दो प्रकार का है-सूत्र श्रुतधर्म卐 (सूत्रों के मूल पाठ का अध्ययन करना) और अर्थ श्रुतधर्म-(सूत्रों के अर्थ का अध्ययन करना)। म
१०९. चारित्रधर्म दो प्रकार का है। अगारचारित्रधर्म (श्रावकों का अणुव्रत आदि) और अनगारचारित्रधर्म-(साधुओं का पंच महाव्रत आदि धर्म)।
107. Dharma (religion) is of two kinds-Shrut dharma (to study the twelve Angas) and charitra dharma (to observe Jain conduct inclusive of righteousness, vows, self-regulation etc.). 108. Shrut dharma is of two kinds-Sutra Shrut dharma (to study the text of scriptures) and arth Shrut dharma (to study the meaning of scriptures). 109. Charitra dharma is of two kinds-agaar charitra dharma (the conduct of laity inclusive of five minor vows) and anagaar charitra dharma (the conduct of ascetics inclusive of five great vows). संयम-पद (सराग संयम) SAMYAM-PAD (SEGMENT OF ASCETIC DISCIPLINE)
११०. दुविहे संजमे पण्णत्ते, तं जहा-सरागसंजमे चेव, वीतरागसंजमे चेव। १११. सरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव, बादरसंपरायसरागसंजमे चेव। ११२. सुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहापढमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे व, अपढमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव। अहवाचरिमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव, अचरिमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव। अहवासुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-संकिलेसमाणए चेव, विसुज्झमाणए चेव। ११३. बादरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पढमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे चेव, अपढमसमयसुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव। अहवा-चरिमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे चेव, अचरिमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे चेव। अहवा-बादरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पडिवातिए चेव, अपडिवातिए चेव।।
११०. संयम दो प्रकार का है-सरागसंयम और वीतरागसंयम। १११. सरागसंयम दो प्रकार का है है-सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम और बादरसम्पराय सरागसंयम। ११२. सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम दो
प्रकार का है-प्रथमसमय-सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम और अप्रथमसमय-सूक्ष्मसम्पराय सरागसंयम।
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स्थानांगसूत्र (१)
(66)
Sthaananga Sutra (1)
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