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5. [Q. 1] Bhante ! While a person is killing some mobile being (tras y 11 jiva) does he kill just that mobile being or other mobile beings as well ?
[Ans.) Gautam ! He kills that mobile being (tras jiva) as well as mobile beings other than the one he is killing.
५. [प्र. २ ] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ‘अन्नयरं पि तसपाणं (हणइ) नोअन्नयरे वि तसे पाणे हणइ'?
[उ. ] गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं एगं अन्नयरं तसं पाणं हणामि, से णं एगं अनयरं म तसं पाणं हणमाणे अणेगे जीवे हणइ। से तेणटेणं गोयमा ! तं चेव। एए सव्वे वि एक्कगमा।
५. [ प्र २ ] भगवन् ! किस हेतु से आप ऐसा कहते हैं कि वह पुरुष उस त्रसजीव को भी मारता है है और उसके सिवाय अन्य त्रसजीवों को भी मार देता है ?
[उ. ] गौतम ! उस त्रसजीव को मारने वाले पुरुष के मन में ऐसा विचार होता है कि मैं उसी + त्रसजीव को मार रहा हूँ, किन्तु वह उस त्रसजीव को मारता हुआ, उसके सिवाय अन्य अनेक त्रसजीवों
को भी मारता है। इसलिए, हे गौतम ! पूर्वोक्त रूप से जानना चाहिए। इन सभी का एक समान पाठ 5 (आलापक) है।
5. [Q. 2] Bhante ! Why do you say that he kills that mobile being (tras jiva) as well as mobile beings other than the one he is killing ?
[Ans.] Gautam ! (When ready to kill) that person thinks that he is killing just one particular mobile being. But, in fact, while killing just one particular mobile being he kills many other mobile beings as well. That is why, Gautam ! It is stated as above. All these questions have the
same answer. ॐ ऋषिघातक SAGE KILLER
६.[प्र. १ ] पुरिसे णं भंते ! इसिं हणमाणे किं इसिं हणइ, नोइसिं हणइ ? [उ. ] गोयमा ! इसि पि हणइ नोइसि पि हणइ।
६. [प्र. १ ] भगवन् ! कोई पुरुष, ऋषि को मारता हुआ क्या ऋषि को ही मारता है, अथवा नोऋषि (ऋषि के सिवाय अन्य जीवों) को भी मारता है ? + [उ. ] गौतम ! वह (ऋषि को मारने वाला पुरुष) ऋषि को भी मारता है, नोऋषि को भी मारता है।
6.[Q. 1] Bhante ! While a person is killing a sage (rishi) does he kill just that sage (rishi) or non-sage (norishi; living beings other than sage) also ?
(Ans.] Gautam ! He kills sage (rishi) as well as non-sage (norishi; living beings other than sage).
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भगवती सूत्र (३)
(506)
Bhagavati Sutra (3)
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