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355555555555555555555555555555555 # ४५. जब क्षत्रियकुमार जमालि के माता-पिता विषय के अनुकूल और विषय के प्रतिकूल
बहुत-सी उक्तियों, प्रज्ञप्तियों, संज्ञप्तियों और विज्ञप्तियों द्वारा उसे समझा-बुझा न सके, तब अनिच्छा से म - (अनमने भावपूर्वक) क्षत्रियकुमार जमालि को दीक्षाभिनिष्क्रमण (दीक्षा-ग्रहण) की अनुमति दे दी।
45. When all methods including telling, showing and explaining of suggestions, arguments, inducements, and allurements as well as threats failed to break the resolve of Kshatriya youth Jamali, his parents reluctantly gave him permission to get initiated in the ascetic order अभिनिष्क्रमण-महोत्सव FESTIVE RENUNCIATION
४६. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी# खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! खत्तियकुंडग्गामं नगरं सभिंतरबाहिरियं आसियसम्मज्जिओवलित्तं जहा उववाइए जाव पच्चप्पिणंति।
४६. तदनन्तर क्षत्रियकुमार जमालि के पिता ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और उन्हें इस प्रकार कहा हे देवानुप्रियो ! शीघ्र ही क्षत्रियकुण्डग्राम नगर के अन्दर और बाहर पानी का छिड़काव करो, झाड़/बुहारकर जमीन की सफाई करके उसे लिपाओ, यावत् नगर को सुसज्जित करो। यावत जैसा
औपपातिक सूत्र में वर्णन है वैसा कार्य करके उन कौटुम्बिक पुरुषों ने आज्ञा वापस सौंपी। ____46. After this Kshatriya youth Jamali's father called his attendants and instructed them — "Beloved of gods! Be expeditious and sprinkle water inside and outside the city of Kshatriyakund, wipe and clean the ground, plaster it ... and so on up to... decorate it. ... and so on up to... the attendants reported back about completion of the order (as mentioned in Aupapatik sutra).
४७. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं # वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्त महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं # निक्खमणाभिसेयं उवट्ठदेह।
४७. इसके पश्चात् क्षत्रियकुमार जमालि के पिता ने दुबारा उन कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और इस प्रकार कहा हे देवानुप्रियो ! शीघ्र ही जमालि क्षत्रियकुमार के महार्थ, महामूल्य, महार्ह (महान् पुरुषों
के योग्य) और विपुल (विशाल) निष्क्रमणाभिषेक (दीक्षा महोत्सव) की तैयारी करो। 5 47. Once again Kshatriya youth Jamali's father called his attendants F and instructed them - "Beloved of gods! Be expeditious and arrange for
the festivities of great renunciation of Jamali, the Kshatriya youth, in a very ambitious, august, elaborate and grand manner befitting great men.
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नवम शतक : तेतीसवाँ उद्देशक
(467)
Ninth Shatak : Thirty Third Lesson
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