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१४. [ प्र. ] (यह देखकर ) भगवान गौतम ने, 'भगवन् !' यों कहकर श्रमण भगवान महावीर को वन्दन - नमस्कार किया। उसके पश्चात् इस प्रकार [प्रश्न ] पूछा- भन्ते ! इस देवानन्दा ब्राह्मणी के स्तनों 5 से दूध कैसे निकल आया ? यावत् इसे रोमांच क्यों हो आया ? और यह आप देवानुप्रिय को अनिमेष दृष्टि से देखती हुई क्यों खड़ी है ?
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14. [Q.] (Observing this ) Bhagavan Gautam exclaimed "Bhante!" Uttering thus he paid homage and obeisance. After that he asked “Bhante! Why is there ooze of milk from the breasts of this Brahmani ! Devananda ? and so on up to... Why is she so thrilled? And why she stands steadily staring at you, O Beloved of gods?
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[ उ. ] 'गौतम !' यों कहकर श्रमण भगवान महावीर स्वामी ने भगवान गौतम से इस प्रकार कहाहे गौतम ! देवानन्दा ब्राह्मणी मेरी माता है। मैं देवानन्दा का आत्मज (पुत्र) हूँ। इसलिए देवानन्दा को पूर्व-पुत्रस्नेहानुरागवश दूध आ गया, यावत् रोमाञ्च हुआ और यह मुझे अनिमेष दृष्टि से देख रही है।
[Ans.] "Gautam!" Addressing thus Shraman Bhagavan Mahavir replied to Bhagavan Gautam -"O Gautam! Brahmani Devananda is my mother. I am Devananda's son. That is why out of the natural love for her ex-son there is ooze of milk and so on up to... She is so thrilled and
stands steadily staring at me.
5 रात्रि तक भगवान का जीव देवानन्दा के गर्भ में रहा । तदनन्तर त्रिशला क्षत्रियाणी के गर्भ में साहरण किया गया। अतः देवानन्दा त्रिशला माता की भाँति ही भगवान महावीर की माता थी। इस वर्णन से पता चलता है । गर्भ से हरण की यह घटना अब तक अज्ञात ही थी। भगवान ने गौतम के साथ प्रकट की।
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विवेचन : कल्पसूत्र आदि के अनुसार भगवान महावीर का जीव दशवें स्वर्ग से च्यवकर दक्षिण ब्राह्मणकुण्ड के कोडाल गोत्रीय ऋषभदत्त ब्राह्मण की पत्नी देवानन्दा के गर्भ में आये । देवानन्दा ने चौदह स्वप्न देखे । बयासी
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Elaboration According to Kalpa Sutra and other texts, the soul that was to be Bhagavan Mahavir descended from the tenth heaven and came in the womb of Devananda, the wife of Brahman Rishabh-datt of Kodal clan living in southern Brahman Kundagram. Devananda then saw fourteen dreams. The soul of Bhagavan Mahavir remained in the womb of Devananda for eighty-two nights. After that the fetus was transferred into the womb of Trishala Kshatriyani. Thus Devananda was also the mother of Bhagavan Mahavir just like mother Trishala. The aforesaid description informs that till that moment the incident of fetus transfer y was not known. It was Bhagavan Mahavir who revealed it to Gautam. ऋषभदत्त द्वारा प्रवज्या ग्रहण INITIATION OF RISHABH DATT
१५. तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदाए य माहणीए तीसे य महतिमहालियाए इसिपरिसाए जाव परिसा पडिगया।
भगवती सूत्र (३)
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Bhagavati Sutra (3)
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