________________
国步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步男男男因
))))
१-४-६, १-४-७, १-५-६, १-५-७ और १-६-७। चतुष्कसंयोगी २० भंग-१-२-३-४, १-२-३-५, १-२-३-६, १-२-३-७, १-२-४-५, १-२-४-६, १-२-४-७, १-२-५-६, १-२-५-७, १-२-६-७, १-३-४-५, १-३-४-६, १-३-४-७, १-३-५-६, १-३-५-७, १-३-६-७, १-४-५-६, १-४-५-७, १-४-६-७ और १-५-६-७। पंचसंयोगी १५ भंग-१-२-३-४-५, १-२-३-४-६, १-२-३-४-७, १-२-३-५-६, १-२-३-५-७, १-२-३-६-७, १-२-४-५-६, १-२-४-५-७, १-२-४-६-७, १-२-५-६-७, १-३-४-५-६, १-३-४-५-७, १-३-४-६-७,
१-३-५-६-७ और १-४-५-६-७। षट्सं योगी ६ भंग-१-२-३-४-५-६, १-२-३-४-५-७, ॥ १-२-३-४-६-७, १-२-३-५-६-७, १-२-४-५-६-७ और १-३-४-५-६-७। सप्तसंयोगी १ भंग
१-२-३-४-५-६-७। (भगवती, विवेचन, [पं. घेवरचन्द जी], भा. ४, पृ. १६६६) 4 Elaboration-Alternatives for maximum number of infernal 1 beings - When talking of maximum numbers the first hell is always Si inclusive. Thus every set of alternative combinations essentially has the
first hell. The details are -
_____6 alternatives for alternative combination of 2 - 1-2, 1-3, 1-4, 1-5, 1-6, 卐 1-7. 15 alternatives for alternative combination of 3 - 1-2-3, 1-2-4, 1-2-5, + 1-2-6, 1-2-7, 1-3-4, 1-3-5, 1-3-6, 1-3-7, 1-4-5, 1-4-6, 1-4-7, 1-5-6, 1-5-7, and
1-6-7. 20 alternatives for alternative combination of 4 - 1-2-3-4, 1-2-3-5,
1-2-3-6, 1-2-3-7, 1-2-4-5, 1-2-4-6, 1-2-4-7, 1-2-5-6, 1-2-5-7, 1-2-6-7, 1-3-44 5, 1-3-4-6, 1-3-4-7, 1-3-5-6, 1-3-5-7, 1-3-6-7, 1-4-5-6, 1-4-5-7, 1-4-6-7, and 卐 1-5-6-7. 15 alternatives for alternative combination of 5-1-2-3-4-5, 1-2-
3-4-6, 1-2-3-4-7, 1-2-3-5-6, 1-2-3-5-7, 1-2-3-6-7, 1-2-4-5-6, 1-2-4-5-7, 1-2-46-7, 1-2-5-6-7, 1-3-4-5-6, 1-3-4-5-7, 1-3-4-6-7, 1-3-5-6-7, and 1-4-5-6-7.6 alternatives for alternative combination of 6-1-2-3-4-5-6, 1-2-3-4-5-7, 12-3-4-6-7, 1-2-3-5-6-7, 1-2-4-5-6-7, and 1-3-4-5-6-7. 1 alternative for the combination of 7 - 1-2-3-4-5-6-7. (Bhagavati Sutra with elaboration by Pt. Ghevar Chand ji, part-4, pp. 1666) नैरयिक प्रवेशनकों का अल्पबहुत्व COMPARATIVE NUMBERS OF INFERNAL ENTRIES
२९. [प्र.] एयस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणगस्स सक्करप्पभापुढवि० जाव ॐ अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिए वा? ।
[उ. ] गंगेया ! सव्वत्थोवे अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए, तमापुढविनेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे, म एवं पडिलोमगं जाव रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे। ॐ २९. [प्र.] भगवन् ! रत्नप्रभा-पृथ्वी के नैरयिक-प्रवेशनक, शर्कराप्रभा-पृथ्वी के
नैरयिक-प्रवेशनक, यावत् अधःसप्तम-पृथ्वी के नैरयिक-प्रवेशनक हैं, इनमें से कौन प्रवेशनक, किस ॐ प्रवेशनक से अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? . नवम शतक : बत्तीसवाँ उद्देशक
(409) Ninth Shatak : Thirty Second Lesson
8555555555555555555555555
E 9
日历%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%$555555555555555
85555555555555555555555555)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org