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+ नैरयिक-प्रवेशनक निरूपण NAIRAYIK-PRAVESHANAK
१५. [प्र. ] नेरइयपवेसणए णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? 3 [उ.] गंगेया ! सत्तविहे पन्नते, तं जहा-रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए।
१५. [प्र. ] भगवन् ! नैरयिक-प्रवेशनक कितने प्रकार का कहा गया है ?
[उ. ] गांगेय ! (नैरयिक-प्रवेशनक) सात प्रकार का कहा गया है, जैसे कि रत्नप्रभा-पृथ्वी नैरयिक-प्रवेशनक यावत् अधःसप्तम-पृथ्वी नैरयिक-प्रवेशनक।
15. [Q.] How many types of Nairayik-praveshanak (entrance into yi infernal genus) are there?
(Ans.] Gangeya ! Nairayik-praveshanak (entrance into infernal genus) are said to be of seven types—Ratna-prabha Prithvi Nairayikpraveshanak (entrance into the first hell), ... and so on up to... Adhahsaptam Prithvi Nairayik-praveshanak (entrance into the seventh hell). एक नैरयिक के प्रवेशनक भंग OPTIONS FOR ONE INFERNAL BEING
१६. [प्र. ] एगे भंते ! नेरइए नेरइयपवेसणए णं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होज्जा, सक्करप्पभाए होज्जा, जाव अहेसत्तमाए होज्जा ?
[उ. ] गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा।
१६. [प्र.] भंते ! क्या एक नैरयिक जीव नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ रत्नप्रभा-पृथ्वी में होता है, या शर्कराप्रभा-पृथ्वी में होता है अथवा यावत् अधःसप्तम-पृथ्वी में होता
है?
[उ. ] गांगेय ! वह नैरयिक रत्नप्रभा-पृथ्वी में होता है, या यावत् अधःसप्तम-पृथ्वी में होता है।
16. [Q.] Bhante ! When one jiva (soul) enters the infernal realm does he take birth in the first hell (Ratnaprabha Prithvi) or the second hell 45 (Sharkaraprabha Prithvi) or ... and so on up to... the seventh hell (Adhah-saptam Prithvi)?
(Ans.] Gangeya ! It either gets born in the first hell (Ratnaprabha Prithvi) or any other ... and so on up to... the seventh hell (Adhahsaptam Prithvi).
विवेचन : एक नैरयिक के असंयोगी सात प्रवेशक भंग-यदि एक नारक रत्नप्रभा आदि नरकों में उत्पन्न (प्रविष्ट) हो तो उसके सात विकल्प होते हैं। जैसे कि (१) या तो वह रत्नप्रभा-पृथ्वी में उत्पन्न होता है, (२) या 卐 शर्कराप्रभा-पृथ्वी में, (३ से ७) इस प्रकार असंयोगी सात भंग होते हैं।
| भगवती सूत्र (३)
(358)
Bhagavati Sutra (3)
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