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四听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。
[उ. ] गौतम ! ज्ञानाराधना तीन प्रकार की कही गई है-(१) उत्कृष्ट, (२) मध्यम, और (३)
जघन्य।
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4. (Q.) Bhante ! Of how many types is Jnana-araadhana (practice of right knowledge)?
[Ans.] Gautam ! Jnana-araadhana (practice of right knowledge) is si said to be of three types-(1) Superlative (utkrisht), (2) mediocre (madhyam) and (3) lowly (jaghanya).
५. दंसणाराहणा णं भंते ! एवं चेव तिविहा वि।
६. एवं चरित्ताराहणा वि। ____५. भगवन् ! दर्शनाराधना कितने प्रकार की कही गई है ? दर्शनाराधना भी इसी प्रकार तीन प्रकार 卐 की कही गई है।
5. Bhante ! Of how many types is Darshan-araadhana (practice of right perception/faith) ?
[Ans.) As aforesaid, Darshan-araadhana is also of three kinds. ६. इसी प्रकार चारित्राराधना भी तीन प्रकार की कही गई है।
6. The same is also true for Chaaritra-araadhana (practice of right conduct).
७. [प्र.] जस्स णं भंते ! उक्कोसिया णाणाराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा ? जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स उक्कोसिया णाणाराहणा ?
[उ. ] गोयमा ! जस्स उक्कोसिया णाणाराहणा तस्स दंसणाराहणा उक्कोसिया वाफ + अजहनउक्कोसिया वा, जस्स पुण उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा जहन्ना वा ॐ अजहन्नमणुक्कोसा वा।
७. [प्र. ] भगवन् ! जिस जीव की उत्कृष्ट ज्ञानाराधना होती है, क्या उसकी दर्शनाराधना भी उत्कृष्ट फ होती है ? जिस जीव की उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती है, क्या उसकी उत्कृष्ट ज्ञानाराधना भी उत्कृष्ट होती है?
[उ. ] गौतम ! जिस जीव की उत्कृष्ट ज्ञानाराधना होती है, उसकी दर्शनाराधना उत्कृष्ट या मध्यम फ़ होती है। जिस जीव की उत्कृष्ट दर्शनाराधना होती है, उसकी उत्कृष्ट, जघन्य या मध्यम ज्ञानाराधना होती है।
7. [Q.] Bhante ! Does a living being having superlative practice of right knowledge (Utkrisht Jnana-araadhana) also have superlative practice of right perception/faith (Utkrisht Darshan-araadhana) ? And, does a living being having superlative practice of right perception/faith
| अष्टम शतक : दशम उद्देशक 95%% %%% %%% %%%%
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Eighth Shatak : Tenth Lesson %%% %%% %%% %
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