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5 555555555555555555555 # [२] एवं जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पओगबंधे।
[२] इसी प्रकार यावत् अन्तराय-कार्मणशरीर-प्रयोगबन्ध तक जानना चाहिए।
[2] The same is true for other aforesaid types of karmic bondage up to Antaraya-karman-sharira-prayoga-bandh (bondage related to power hindering karmic body formation)
११३. [प्र. ] णाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? है [उ. ] गोयमा ! णाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणाईए सपज्जवसिए, अणाईए अपज्जवसिए वा, एवं जहा तेयगसरीरसंचिट्ठणा तहेव।
११३. [प्र. ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय-कार्मणशरीर-प्रयोगबन्ध कालतः कितने काल तक रहता है ? 9 [उ. ] गौतम ! ज्ञानावरणीय-कार्मणशरीर-प्रयोगबन्ध (काल की अपेक्षा से) दो प्रकार का कहा
गया है। यथा-अनादि-सपर्यवसित और अनादि-अपर्यवसित। जिस प्रकार तैजस्शरीर प्रयोगबन्ध का ॐ स्थितिकाल (सूत्र ९४ में) कहा है, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए।
113. (Q.) Bhante ! In terms of time, how long does Jnanavaraniyakarman-sharira-prayoga-bandh (bondage related to knowledge si obscuring karmic body formation) last ?
[Ans.] Gautam ! In terms of time Jnanavaraniya-karman-shariraprayoga-bandh (bondage related to knowledge obscuring karmic body 15 formation) is said to be of two types—(1) anaadi-aparyavasit (without a 4
beginning and without an end) and (2) anaadi-saparyavasit (without a beginning and with an end). What has been said about lasting period of Taijas-sharira-prayoga-bandh (aphorism 94) should be repeated here.
११४. एवं जाव अंतराइयकम्मस्स।
११४. इसी प्रकार यावत्-अन्तरायकर्म-(कार्मणशरीर-प्रयोगबन्ध के स्थितिकाल) तक कहना 5 चाहिए।
114. The same is true for other aforesaid types of karmic bondage up 卐 to Antaraya-karman-sharira-prayoga-bandh (bondage related to power $i hindering karmic body formation). ॐ ११५. [प्र. ] णाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ?
[उ. ] गोयमा अणाईयस्स० एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं तहेव। ११६. एवं जाव अंतराइयस्स।
भगवती सूत्र (३)
(258)
Bhagavati Sutra (3)
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