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Samayas. Here the Pudgal-paravartans under consideration are equal to the uncountable fraction of these uncountable Samayas of an Avalika. They are also uncountable because there are uncountable types of 4 uncountable numbers. (Vritti, leaf 400-403) वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध के भेद-प्रभेद TYPES OF VAIKRIYA-SHARIRA-PRAYOGA-BANDH
५१. [प्र. ] वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ? __ [उ. ] गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा-एगिंदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे य, पंचिंदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे य।
५१. [प्र. ] भगवन् ! वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ? _ [उ. ] गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है-(१) एकेन्द्रिय वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध और (२) पंचेन्द्रिय वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध।
51. [Q.] Bhante ! Of how many types is this Vaikriya-sharira-prayogabandh (bondage related to transmutable body formation) ?
[Ans.] Gautam ! It is said to be of two types—(1) Ekendriya-vaikriyasharira-prayoga-bandh (bondage related to one-sensed transmutable body formation) and (2) Panchendriya-vaikriya-sharira-prayoga-bandh 4 (bondage related to five-sensed transmutable body formation).
५२. [प्र. ] जइ एगिंदियवेउब्बियसरीरप्पयोगबंधे किं वाउक्काइयएगिंदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे, अवाउक्काइय-एगिंदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे ?
[उ. ] एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओगाहणसंटाणे वेउब्वियसरीरभेदो तहा भाणियव्यो जाव पज्जत्तसव्वट्ठसिद्ध-अणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे य अपज्जत्तसव्वदृसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव पयोगबंधे य।
५२. [प्र. ] भगवन् ! यदि एकेन्द्रिय-वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध है, तो क्या वायुकायिक एकेन्द्रियवैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध है अथवा अवायुकायिक एकेन्द्रिय-वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध है ?
[उ. ] गौतम ! इस प्रकार के अभिलाप द्वारा (प्रज्ञापनासूत्र के इक्कीसवें) अवगाहना संस्थानपद में वैक्रियशरीर के जिस प्रकार भेद कहे गये हैं, उसी प्रकार यहाँ भी यावत्- 'पर्याप्तसर्वार्थसिद्ध-ऊ अनुत्तरौपपातिक-कल्पातीत-वैमानिकदेव-पंचेन्द्रिय-वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध और अपर्याप्त-5 सर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक-कल्पातीत-वैमानिकदेव-पंचेन्द्रिय-वैक्रियशरीर-प्रयोगबन्ध' तक कहना चाहिए।
52. Bhante ! If there is Ekendriya-vaikriya-sharira-prayoga-bandh (bondage related to one-sensed transmutable body formation) then is there Vayukaayik-ekendriya-vaikriya-sharira-prayoga-bandh (bondage
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| भगवती सूत्र (३)
(226)
Bhagavati Sutra (3)
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