________________
卐
फफफ
卐
卐
२८. [ प्र. १ ] दंसणमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?
ब
[ उ. ] गोयमा ! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ ।
[प्र. २ ] चरित्तमोहणिज्जे णं भंते! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?
[ उ. ] गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तं जहा
अरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अक्कोसे।
सक्कारपुरक्कारे चरित्तमोहम्म सत्तेते ॥ २ ॥
२८. [ प्र. १ ] भगवन् ! दर्शनमोहनीय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ? [उ. ] गौतम ! दर्शनमोहनीय कर्म में एक दर्शन - परीषह का समवतार होता है।
[प्र. २ ] भगवन् ! चारित्रमोहनीय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ?
[ उ. ] गौतम ! चारित्रमोहनीय कर्म में सात परीषहों का समवतार होता है। वह इस प्रकार - १. अरति - परीषह, २. अचेल - परीषह, ३. स्त्री - परीषह, ४. निषद्या - परीषह, ५. याचना - परीषह, ६. आक्रोश - परीषह, और ७. सत्कार - पुरस्कार - परीषह । इन सात परीषहों का समवतार चारित्रमोहनीय कर्म में होता है ।
5 karma
28. [Q. 1] Bhante ! How many afflictions are associated with Darshanmohaniya karma (perception/faith deluding karma)?
[Ans.] Gautam ! One affliction is associated with Darshan-mohaniya (perception/faith deluding karma)- Darshan-parishaha
[Ans.] Gautam ! Seven affliction are associated with Chaaritramohaniya (conduct deluding ) - (1) Arati-parishaha (affliction related to disturbance in ascetic-discipline ), (2) Achela-parishaha (garb related affliction), (3) Stree-parishaha (affliction related to opposite sex ), (4) 5 Nishadya-parishaha (accommodation related affliction ), (5) Yaachana5 parishaha (affliction related to alms seeking ), ( 6 ) Aakrosh-parishaha y 5 (insult related affliction), and (7) Satkaar-puraskaar-parishaha 5 फ्र (affliction related to honour and prize).
卐
(perception / faith related affliction).
[Q. 2] Bhante ! How many afflictions are associated with Chaaritramohaniya karma (conduct deluding karma)?
२९. [ प्र. ] अंतराइए णं भंते! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?
[ उ. ] गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरइ ।
२९. [ प्र. ] भगवन् ! अन्तराय कर्म में कितने परीषहों का समवतार होता है ?
[ उ. ] गौतम ! अन्तराय कर्म में एक अलाभ-परीषह का समवतार होता है।
भगवती सूत्र (३)
(182)
Jain Education International
Bhagavati Sutra (3)
குசுத்*தத***************தமித***********தம்
For Private & Personal Use Only
hhhhhhh ना ना ना ना ना ना
www.jainelibrary.org