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तइओ उद्देसओ : 'रुक्रवा'
अष्टम शतक : तृतीय उद्देशक : वृक्ष EIGHTH SHATAK (Chapter Eight) : THIRD LESSON : VRIKSHA (TREE)
विविध जाति के वृक्षों का निरूपण TREES OF VARIOUS SPECIES
१. [प्र. ] कइविहा णं भंते ! रुक्खा पण्णत्ता ?
[उ. ] गोयमा ! तिविहा रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा-संखेज्जजीविया, असंखेज्जजीविया, अणंतजीविया।
१. [प्र. ] भगवन् ! वृक्ष कितने प्रकार के कहे हैं ? [उ. ] गौतम ! वृक्ष तीन प्रकार के कहे हैं-(१) संख्यात जीव वाले, (२) असंख्यात जीव वाले और (३) अनन्त जीव वाले।
1. [Q.] Bhante ! How many types of trees are there ?
[Ans.] Gautam ! Trees are said to be of three types—(1) having a countable number of jivas (souls), (2) having an uncountable number of 4 jivas (souls), and (3) having infinite number of jivas (souls).
२. [प्र. ] से किं तं संखेज्जजीविया ?
[उ. ] संखेज्जजीविया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-ताले, तमाले, तक्कलि, तेतलि, जहा पण्णवणाए जाव नालिएरी जे यावन्ने तहप्पगारा। से त्तं संखेज्जजीविया।
२. [प्र. ] भगवन् ! संख्यात जीव वाले वृक्ष कौन से हैं ?
[उ. ] गौतम ! संख्यात जीव वाले वृक्ष अनेकविध हैं। जैसे-ताड़, तमाल, तक्कलि, तेतलि इत्यादि, प्रज्ञापना सूत्र (पहले पद) में कहे अनुसार यावत् नारिकेल (नारियल) पर्यन्त जानना चाहिए। ये और इनके अतिरिक्त इस प्रकार के जितने भी वृक्ष विशेष हैं, वे सब संख्यात जीव वाले हैं।
2. [Q.] Bhante ! Which are the trees having a countable number of jivas (souls)?
(Ans.) Gautam ! Trees having a countable number of jivas (souls) are of many types. For example-Taad (palm tree), Tamaal (an evergreen tree; Crateva nurvala Buch), Takkali (Premna Interfolia), Tetali (Titali; Euphorbia Dracunculoides)... and so on up to ... Naarikel (coconut) as mentioned in the first chapter of Prajnapana Sutra. These and all other trees of this type are with countable number of souls.
३. [प्र. ] से किं तं असंखेज्जजीविया ? [उ. ] असंखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- एगट्ठिया य बहुबीयगा य।
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अष्टम शतक : तृतीय उद्देशक
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Eighth Shatak: Third Lesson
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