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Sanskrit, Maagadhi, Paishachi, Shaurseni and Deshi languages is called Ardhamaagadhi. As it is the language used by Tirthankars, gods, and masses it is more important than Sanskrit even. (Vritti, leaf 221) छद्मस्थ और केवली का ज्ञान KNOWLEDGE OF CHHADMASTH AND KEVALI
२५. [ प्र. ] केवली णं भंते ! अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासति ?
[उ. ] हंता, गोयमा ! जाणति पासति ।
२५. [ प्र.] भगवन् ! क्या केवली अन्तकर (कर्मों का अन्त करने वाले) को अथवा चरमशरीरी को जानता - देखता है ?
[ उ. ] हाँ, गौतम ! वह उसे जानता-देखता है।
25. [Q.] Bhante ! Does the omniscient (Kevali) know and see an antakar (rebirth-terminator) or charam shariri (terminal-bodied)?
[Ans.] Yes, Gautam ! He knows and sees.
२६. [ प्र. १ ] जहा णं भंते! केवली अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासति तहा णं छउमत्थे वि अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणति पासति ?
[ उ. ] गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, सोच्चा जाणति पासति पमाणतो वा।
२६. [ प्र. १ ] भगवन् ! जिस प्रकार केवली अन्तकर को, अथवा अन्तिमशरीरी को जानता - देखता है, क्या उसी प्रकार छद्मस्थ- मनुष्य भी अन्तकर को अथवा अन्तिमशरीरी को जानता-देखता है ?
[ उ. १ ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं, ( अर्थात् - केवली की तरह छद्मस्थ अपने ही ज्ञान से नहीं जान सकता), किन्तु छद्मस्थ मनुष्य किसी से सुनकर अथवा प्रमाण द्वारा जानता - देखता है।
26. [Q. 1] Bhante ! As the omniscient (Kevali) knows and sees an antakar (rebirth-terminator) or charam shariri (terminal-bodied), in the same way does a chhadmasth (a person with finite cognition) also know and see an antakar (rebirth-terminator) or charam shariri (terminalbodied)?
[Ans.] Gautam ! That is not correct (a chhadmasth cannot know and see directly of his own accord like a Kevali). He knows by hearing (from someone) or through validation (pramaan ).
[प्र. २] से किं तं सोच्चा ?
[उ. ] सोच्चा णं केवलिस्स वा, केवलिसावयस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा, तप्पक्खियसावियाए वा, तप्पक्खियवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए वा । से तं सोच्चा।
पंचम शतक : चतुर्थ उद्देशक
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Fifth Shatak: Fourth Lesson
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