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२२. [प्र. ] देवाणं भंते ! 'संजयासंजया' ति वत्तव्वं सिया ? _[उ. ] गोयमा ! णो इणट्टे समझे। असन्भूयमेयं देवाणं।
२३. [प्र. ] से किं खाति णं भंते ! देवा ति वत्तव्वं सिया ? [उ. ] गोयमा ! देवा णं 'नोसंजया' ति वत्तव्वं सिया।
२०. [प्र. ] 'भगवन् !' इस प्रकार सम्बोधित करके भगवान गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान # महावीर को वन्दन-नमस्कार किया यावत् इस प्रकार पूछा-भगवन् ! क्या देवों को 'संयत' कहा जा
सकता है? ___[उ. ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ (सम्यक्) नहीं है, (देवों को ‘संयत' कहना) देवों के लिए अभ्याख्यान (मिथ्या आरोपित कथन) है।
२१. [प्र. ] भगवन् ! क्या देवों को 'असंयत' कहना चाहिए? __ [उ. ] गौतम ! यह अर्थ (भी) समर्थ नहीं है। देवों के लिए (असंयत) कहना निष्ठुर वचन है।
२२. [प्र. ] भगवन् ! क्या देवों को 'संयतासंयत' कहना चाहिए?
[उ.] गौतम ! यह अर्थ (भी) समर्थ नहीं है, देवों को 'संयतासंयत' कहना देवों के लिए असत्य वचन है।
२३. [प्र. ] भगवन् ! तो फिर देवों को किस नाम से पुकारना चाहिए? म [उ.] गौतम ! देवों को 'नोसंयत' कहा जा सकता है।
20. 10.1 "Bhante ?” Addressing thus Bhagavan Gautam Swami paid homage and obeisance to Shraman Bhagavan Mahavir... and so on up to... and submitted—"Bhante ! Can gods be called 'restrained' (samyat) ?"
[Ans.] Gautam ! That is not true. To say so is incorrect. 21.[Q.] "Bhante! Can gods becalled 'unrestrained' (asamyat)?" (Ans.] Gautam ! That is not true. To say so is rude.
22. [Q.] “Bhante ! Can gods be called 'restrained-unrestrained' (samyatasamyat)?"
(Ans.] Gautam ! That too is not true. To say so is a false statement for gods.
23. [Q.] “Bhante ! Then what should gods be called (in this regard)? \ [Ans.) Gautam ! Gods can be called non-restrained (nosamyat).
__विवेचन : देवों के लिए 'नोसंयत' शब्द कहने का कारण-जिस प्रकार 'मृत' और 'दिवंगत' का अर्थ एक होते हुए भी 'मर गया' शब्द निष्ठुर (कठोर) वचन होने से 'स्वर्गवासी हो गया' ऐसे अनिष्ठुर (मृदु) शब्दों का प्रयोग
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|पंचम शतक : चतुर्थ उद्देशक
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Fifth Shatak : Fourth Lesson
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