________________
855555555听听听听听听听听听听听听听听听听
when they are processed with implements and undergo transformation 41 they may be called bodies of fire-bodied beings.
अस्थि आदि के शरीर BODIES OF BONES ETC.
१५. [प्र. ] अह भंते ! अट्ठी अद्विज्झामे, चम्मे चम्मज्झामे, रोमे रोमज्झामे, सिंगे सिंगज्झामे, खुरे , खुरज्झामे, नखे नखज्झामे, एते णं किंसरीरा ति वत्तव्वं सिया ? ___ [उ. ] गोयमा ! अट्ठी, चम्मे, रोमे, सिंगे, खुरे नहे, एए णं तसपाणजीवसरीरा। अद्विज्झामे ॐ चम्मज्झामे रोमज्झामे सिंगज्झामे खुरज्झामे णहज्झामे, एए णं पुवभावपण्णवणं पडुच्च तसपाणजीवसरीरा, ततो पच्छा सत्थातीता जाव अगणित्ति वत्तव्वं सिया।
१५. [प्र. ] भगवन् ! ये हड्डी, अस्थिध्याम (अग्नि से दूसरे स्वरूप को प्राप्त हड्डी और उसका जला हुआ भाग), चमड़ा, चमड़े का जला हुआ भाग, रोम, अग्नि ज्वलित रोम, सींग, अग्नि प्रज्वलित विकृत ॐ सींग, खुर, अग्नि प्रज्वलित खुर, नख और अग्नि प्रज्वलित नख; ये सब किन (जीवों) के शरीर कहे . 卐 जा सकते हैं? 3 [उ. ] गौतम ! अस्थि (हड्डी), चमड़ा, रोम, सींग, खुर और नख; ये सब त्रस जीवों के शरीर कहे . + जा सकते हैं और जली हुई हड्डी, प्रज्वलित विकृत चमड़ा, जले हुए रोम, प्रज्वलित-रूपान्तर प्राप्त सींग,
प्रज्वलित खुर और प्रज्वलित नख; ये सब पूर्वभावप्रज्ञापना (भूतपूर्व शरीर) की अपेक्षा से तो त्रस जीवों । ॐ के शरीर, किन्तु उसके पश्चात् शस्त्रातीत यावत् अग्निपरिणामित होने पर ये अग्निकायिक जीवों के 卐 शरीर कहे जा सकते हैं।
15. [Q.] Bhante ! To what category of living beings do the bodies of 4 bone, burnt bone, skin, burnt skin, pelt, burnt pelt, horn, burnt horn, 卐 hoof, burnt hoof, nail and burnt nail belong?
[Ans.] Gautam ! Bone, skin, pelt, horn, hoof, nail these all are bodies 4 of mobile beings (tras jiva). Burnt bone, burnt skin, burnt pelt, burnt
horn, burnt hoof, burnt nail are the bodies of mobile beings in terms of their earlier or original state. After that when they are processed with implements... and so on up to... fire and undergo transformation they may be called bodies of fire-bodied beings.
१६.[प्र.] अह भंते ! इंगाले, छारिए, भुसे, गोमए एए णं किंसरीरा ति वत्तव्वं सिया ? __ [उ.] गोयमा ! इंगाले, छारिए, भुसे, गोमए, एए णं पुब्बभावपण्णवणाए ॥ एगिंदियजीवसरीरप्पओगपरिणामिया वि जाव पंचिंदियजीवसरीरप्पओगपरिणामिया वि, तओ पच्छा सत्थातीता जाव अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया।
१६. [प्र.] भगवन् ! अंगार (कोयला, जला हुआ ईंधन या अंगारा), राख, भूसा और गोबर; इन म सबको किन जीवों के शरीर कहे जाएँ?
5555 5555
a55 5FFFFFFF 55555 5 5555555 55555555555555555555555555a
听听听听听听听听听听听听听听听听听听
| भगवती सूत्र (२)
(32)
Bhagavati Sutra (2)
55555555555555555555555
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org