________________
)
))
)))
))
))
))
)
)
[Ans.] It could be transformed either as attributes of hard touch, or... and so on up to... as attributes of coarse touch.
७९. [प्र. ] जइ संठाणपरिणए० पुच्छा ? [उ. ] गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आययसंठाणपरिणए वा।
७९. [प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य, संस्थान-परिणत होता है, तो क्या वह 9 परिमण्डल-संस्थानरूप में परिणत होता है, अथवा यावत् आयत-संस्थानरूप में परिणत होता है ?
[उ. ] गौतम ! वह द्रव्य परिमण्डल-संस्थानरूप में परिणत होता है, अथवा यावत् ॥ आयत-संस्थानरूप में परिणत होता है।
79. 1Q.] Bhante ! If a substance is transformed as attributes of constitution, then is it transformed as attributes of spherical i constitution, or... and so on up to... as attributes of rectangular constitution ?
(Ans.] It could be transformed either as attributes of spherical constitution, or... and so on up to... as attributes of rectangular constitution. दो द्रव्य के संयोग से निष्पन्न भंग ALTERNATIVES OF TRANSFORMATION OF TWO SUBSTANCES
८०. [प्र. ] दो भंते ! दव्या किं पयोगपरिणया, मीसापरिणया, वीससापरिणया ? म [उ.] गोयमा ! पओगपरिणया वा १। मीसापरिणया वा २। वीससापरिणया वा ३। अहवेगे ॐ पओगपरिणए, एगे मीसापरिणए ४। अहवेगे पओगपरिणए, एगे वीससापरिणए ५। अहवेगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए, एवं ६।
८०. [प्र. ] भगवन् ! क्या दो द्रव्य प्रयोगपरिणत होते हैं, मिश्रपरिणत होते हैं, अथवा वित्रसापरिणत होते हैं ? । [उ. ] गौतम ! वे प्रयोगपरिणत होते हैं, या मिश्रपरिणत होते हैं, अथवा विस्त्रसापरिणत होते हैं,
अथवा एक द्रव्य प्रयोगपरिणत होता है और दूसरा मिश्रपरिणत होता है; या एक द्रव्य प्रयोगपरिणत ॐ होता है और दूसरा द्रव्य विस्त्रसापरिणत होता है; अथवा एक द्रव्य मिश्रपरिणत होता है और दूसरा ॐ वित्रसापरिणत होता है। $ 80. (Q.) Bhante ! Are two substances prayoga parinat (consciously 4i transformed), mishra parinat (jointly transformed) or visrasa parinat (naturally transformed)?
[Ans.] Gautam ! Two substances could be prayoga parinat (consciously transformed), or mishra parinat (jointly transformed) or visrasa parinat (naturally transformed). Also one of these substances
)
听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
))
)))
))
卐
听听听听听听听听听听听
भगवती सूत्र (२)
(522)
Bhagavati Sutra (2)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org