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पंचम शतक : द्वितीय उद्देशक FIFTH SHATAK (Chapter Five) : SECOND LESSON
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अनिल ANIL (WIND) स्निग्ध पथ्यादि वायु MOIST AND NOURISHING WIND
इस उद्देशक में चार प्रकार की वायु का तथा लवणसमुद्र आदि की लम्बाई-ऊँचाई का वर्णन है।
This chapter describes four kinds of wind and the dimensions of Lavan Samudra.
१. रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी
२. [प्र. ] अस्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया, पच्छा वाया, मंदा वाया, महावाया वायंति ? _[उ. ] हंता, अत्थि।
१. राजगृह नगर में यावत् (श्री गौतम स्वामी ने) भगवान से इस प्रकार पूछा
२. [प्र. ] भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात (ओस आदि से कुछ स्निग्ध या चिकनी व कुछ गीली हवा), पथ्यवात (वनस्पति आदि के लिए हितकर वायु), मन्दवात (धीमे-धीमे चलने वाली हवा) तथा महावात + (तीव्र गति से चलने वाली, प्रचण्ड तूफानी वायु, झंझावात, या आँधी आदि) बहती हैं ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! पूर्वोक्त वायु (हवाएँ) बहती हैं। ____ 1. In Rajagriha city... and so on up to... (Shri Gautam Swami) submitted
2.[Q.] Bhante! Do these winds blow?-Ishatpurovaat (moist breeze), Pathyavaat (wind healthy for vegetation), Mandavaat (zephyr or soft and gentle breeze) and Mahavaat (stormy wind; gale or tempest)? ___[Ans.] Yes, Gautam ! The said winds blow.
३. [प्र. ] अस्थि णं भंते ! पुरथिमेणं ईसिं पुरेवाया, पच्छा वाया, मंदा वाया, महावाया वायंति ?
[उ. ] हंता, अत्थि। ___३. [प्र. ] भगवन् ! क्या पूर्व दिशा से ईषत्पुरोवात, पथ्यवात, मन्दवात और महावात बहती हैं ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! (उपर्युक्त समस्त वायु पूर्व दिशा में) बहती हैं।
3.[Q.] Do the Ishatpurovaat (moist breeze), Pathyavaat (wind healthy for vegetation) and Mandavaat (zephyr or soft and gentle breeze), Mahavaat (stormy wind; gale or tempest) blow in the east ?
(Ans.] Yes, Gautam ! They do (blow in the east).
भगवती सूत्र (२)
(24)
Bhagavati Sutra (2) B5555555555555555555555558
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