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५. [प्र. ] भगवन् ! एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ?
[उ. ] गौतम ! पाँच प्रकार के हैं। जैसे-(१) पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, यावत् (५) वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल।
5. (Q.) Bhante ! How many types of ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of one-sensed beings) are there?
[Ans.) They are of five types—(1) prithvikaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of one-sensed earth-bodied beings)... and so on up to... (5) vanaspatikaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of one-sensed plant-bodied beings).
६. [प्र. १ ] पुढविक्काइयएगिंदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?
[उ.] गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमपुढविक्काइयएगिदियपयोगपरिणया य बादरपुढविक्काइयएगिंदियपयोगपरिणया य।
६. [प्र. १ ] भगवन् ! पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? [उ. ] गौतम ! वे दो प्रकार के हैं; जैसे कि-सूक्ष्मपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और बादरपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल।
6.[Q. 1] Bhante ! How many types of prithvikaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of one-sensed earth-bodied beings) are there? ___ [Ans.] They are of two types-(1) sukshma prithvikaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of minute one-sensed earth-bodied beings) and (2) baadar prithvikaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of gross one-sensed earth-bodied beings).
[२ ] आउक्काइयएगिंदियपयोगपरिणया एवं चेव।[ ३ ] एवं दुयओ भेदो जाव वणस्सइकाइया य।
[२] इसी प्रकार अप्कायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल भी दो प्रकार के (सूक्ष्म और बादर रूप से) कहने चाहिए। [ ३ ] इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल तक के प्रत्येक के दो-दो भेद (सूक्ष्म और बादर रूप से) कहने चाहिए।
[2] The same should be repeated for apkaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of one-sensed water-bodied beings). [3]... and so on up to... vanaspati kaayik ekendriya prayoga parinat pudgala (matter consciously transformed as bodies of
भगवती सूत्र (२)
(470)
Bhagavati Sutra (2)
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