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5555555555555555 (Ans.) Kalodayi ! Of the aforesaid two persons one who lights fire is with extensive karma... and so on up to... extreme pain. And the other who extinguishes fire is with little karma... and so on up to... little pain.
[प्र. २ ] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- 'तत्थ णं जे से पुरिसे जाव अप्पवेयणतराए चेव' ?
[उ. ] कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेति से णं पुरिसे बहुतरागं पुढविकायं समारभति, बहुतरागं आउक्कायं समारभति, अप्पतरागं तेउकायं समारभति, बहुतरागं वाउकार्य समारभति, बहुतरागं वणस्सतिकायं समारभति, बहुतरागं तसकायं समारभति।
तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति से णं पुरिसे अप्पतरागं पुढविक्कायं समारभति, अप्प० आउ०, बहुतरागं तेउक्कायं समारभति, अप्पतरागं वाउकायं समारभइ, अप्पतरागं वणस्सतिकायं समारभइ, अप्पतरागं तसकायं समारभइ। से तेणटेणं कालोदाई ! जाव अप्पवेदणतराए चेव।
[प्र. २ ] भगवन् ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि उन दोनों पुरुषों में से जो पुरुष अग्निकाय को जलाता है, वह महाकर्म वाला और जो अग्निकाय को बुझाता है, वह अल्पकर्म वाला होता है?
[उ. ] कालोदायिन् ! उन दोनों पुरुषों में से जो पुरुष अग्निकाय को जलाता है, वह पृथ्वीकाय का बहुत समारम्भ करता है, अप्काय का बहुत समारम्भ करता है, तेजस्काय का अल्प समारंभ करता है, वायुकाय का बहुत समारंभ करता है; वनस्पतिकाय का बहुत समारम्भ करता है और त्रसकाय का बहुत समारम्भ करता है।
जो परुष अग्निकाय को बझाता है. वह पथ्वीकाय का अल्प समारम्भ करता है. अप्काय का अल्प समारम्भ करता है, वायुकाय का अल्प समारम्भ करता है, वनस्पतिकाय का अल्प समारम्भ करता है एवं त्रसकाय का भी अल्प समारम्भ करता है; किन्तु अग्निकाय का बहुत समारम्भ करता है। इसलिए हे कालोदायिन् ! जो पुरुष अग्निकाय को जलाता है, वह पुरुष महाकर्म वाला आदि है और जो पुरुष अग्निकाय को बुझाता है, वह अल्पकर्म वाला आदि है। ____19. [Q.2] Bhante ! Why do you say that of the aforesaid two persons one who lights fire is with extensive karma and the other who extinguishes fire is with little karma ?
Ans.] Of the aforesaid two persons one who lights fire causes extensive harm to earth-bodied beings (prithvi-kaaya), causes extensive harm to water-bodied beings (ap-kaaya), causes little harm to fire-bodied beings (tejas-kaaya), causes extensive harm to plant-bodied beings (vanaspati-kaaya), causes extensive harm to mobile-bodied beings (traskaaya).
One who extinguishes fire causes little harm to earth-bodied beings, causes little harm to water-bodied beings, causes little harm to plant
| भगवती सूत्र (२)
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Bhagavati Sutra (2)
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