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4. During that period of time Bhagavan Mahavir arrived at Gunasheelak Chaitya and a congregation took place. People came out. Bhagavan gave his sermon. People dispersed.
5. During that period of time ascetic Indrabhuti Gautam, the senior disciple of Shraman Bhagavan Mahavir, moved about to seek alms and while returning after collecting available alms and moving without any haste, hurry and eagerness, following the code of care of movement (irya samiti), he passed the said heretics.
६. [१] तए णं ते अनउत्थिया भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं वीइवयमाणं पासंति, पासेत्ता अनमन्त्रं * सद्दावेंति, अन्नमन्नं सद्दावेत्ता एवं वयासी- “एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमा कहा अविष्पकडा, अयं च ॐ गं गोयमे अम्हं अदूरसामंतेणं वीतीवयति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं गोयमं एयमट्ठ पुच्छित्तए" त्ति
कटु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमढे पडिसुणेति, पडिसुणित्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति, तेणेव फ़ उवागच्छित्ता भगवं गोयमं एवं वयासी
एवं खलु गोयमा ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे णायपुत्ते पंच अस्थिकाए पण्णवेति, तंज है जहा-धम्मत्थिकायं जाव आगासत्थिकायं, तं चेवे रूविकायं अजीवकायं पण्णवेति, से कहमेयं भंते ! : गोयमा ! एवं ?
६.[१] तत्पश्चात् उन अन्यतीर्थिकों ने भगवान गौतम को थोड़ी दूर से जाते हुए देखा। देखकर उन्होंने एक-दूसरे को बुलाया। बुलाकर एक-दूसरे से इस प्रकार कहा-हे देवानुप्रियो ! बात ऐसी है कि । पंचास्तिकाय सम्बन्धी बात हमारे लिए अप्रकट-अज्ञात है। (सर्वथा नवीन है) यह (इन्द्रभूति) गौतम
हमसे थोड़ी ही दूर पर जा रहे हैं। इसलिए हे देवानुप्रियो ! हमारे लिए गौतम से यह अर्थ पूछना 5 श्रेयस्कर है; ऐसा विचार करके उन्होंने परस्पर (एक-दूसरे से) इस सम्बन्ध में परामर्श किया। परामर्श म करके जहाँ भगवान गौतम थे, वहाँ उनके पास आये। पास आकर उन्होंने भगवान गौतम से इस * प्रकार पूछाम हे गौतम ! तुम्हारे धर्माचार्य, धर्मोपदेशक श्रमण ज्ञातपुत्र पंच अस्तिकाय की प्ररूपणा करते हैं। जैसे में कि-धर्मास्तिकाय यावत् आकाशास्तिकाय। यावत् ‘एक पुद्गलास्तिकाय को ही श्रमण ज्ञातपुत्र रूपीकाय है और अजीवकाय कहते हैं'; यहाँ तक (पहले की हुई) अपनी सारी चर्चा उन्होंने गौतम से कही। फिर में पूछा-'हे भदन्त गौतम ! यह बात ऐसे कैसे है?' fi 6. [1] When those heretics saw Bhagavan Gautam passing nearby
they called each other and said"Beloved of gods ! We are ignorant on the subject of Astikaaya and that (Indrabhuti) Gautam is passing
nearby. Therefore, Beloved of gods ! It would be good for us to ask fi Gautam about this.” They consulted among themselves about this idea
and approached Gautam. Coming near him they asked
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पजाभ
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सप्तम शतक : दशम उद्देशक
(456)
Seventh Shatak : Tenth Lesson
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