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चित्र परिचय १५
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वरुण नागनत्तुआ की युद्ध में मृत्यु व स्वर्ग प्राप्ति
नाग नामक प्रसिद्ध गृहस्थ का नाती (पौत्र) वरुण नामक वीर योद्धा जिनधर्मानुयायी श्रमणोपासक था। वह महाराज चेटक का प्रधान सेनापति था । कूणिक के साथ जब रथ-मूसलसंग्राम होने लगा तो वरुण सेनापति सेना लेकर कृणिक की सेना के साथ घोर युद्ध करने लगा।
वरुण का नियम था - जो युद्ध में मुझ पर पहले प्रहार करेगा मैं केवल उसी पर प्रहार करूँगा । कूणिक सेना का एक सैनिक वरुण का हम शक्ल था। उसने आकर वरुण पर अचानक प्रहार किया । तीव्र प्रहार से वरुण की छाती में गहरा घाव लगा। उसने भी शत्रु सैनिक पर प्रहार कर मार डाला।
Illustration No. 15
गहरे प्रहार से घायल वरुण जब युद्ध करने में असमर्थ हो गया तो रणभूमि से बाहर एकान्त स्थान में गया। रथ से नीचे उतरा, घोड़ों को छोड़ दिया। धनुष - कवच आदि शस्त्र सब एक ओर रखकर शरीर से बाण निकाला। एक स्वच्छ भूमि पर आसन बिछाया। पूर्व दिशा की तरफ मुख करके अपने धर्म गुरु श्रमण भगवान महावीर को नमस्कार किया और अपने व्रत, प्रत्याख्यान की आलोचना, प्रतिक्रमण करते हुए समाधि पूर्ण अवस्था में प्राण त्यागे ।
निकटवर्ती वाणव्यन्तर देवों ने वरुण पर सुगन्धित जल-पुष्प आदि की वृष्टि की।
DEATH OF VARUN NAAG NATTUA IN WAR
The valourous warrior Varun, the grandson of renowned citizen Naag, was a devout Jain. He was the commander-in-chief of king Chetak. When the Rathmusal war commenced, Commander Varun engaged Kunik in a fierce battle.
Varun.
Varun had taken a vow that in a battle he would fight only with the individual who hit him first. A soldier from Kunik's army, who was Varun's look-alike, suddenly hit Varun and deeply wounded him on the chest. Varun retaliated and killed the attacker.
-शतक ७, उ ९ सूत्र २०
The fatal wound made it impossible for him to continue fighting and he retreated to a lonely place. He got down from the chariot and released the horses. He then put his bow and armour aside and removed the arrow from his body. Spreading a mattress on a clean spot, he sat down facing east. He paid homage to Shraman Bhagavan Mahavir and did critical review of his vows and other religious conduct. He then commenced meditation and died.
Interstitial gods in the vicinity showered perfumed water and flowers on
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-Shatak-7, lesson-9, Sutra-20
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