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योद्धाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना को यावत् सुसज्जित किया। और ऐसा करके यावत् वरुण नागनत्तुआ 卐 को उसकी आज्ञा वापस सौंपी।
(3) Once Varun Naag-naptrik was ordered by the king, the state and the administration, to go to Rath-musal battle. Then he extended his two day fast to three days. After concluding this fast he called his attendants and said-"Beloved of gods ! Bring a four-bell chariot drawn by horses and duly equipped and get the four pronged army comprising of cavalry, elephant brigade, chariot brigade and infantry, ready to march. After doing all this report back to me.
[4] His attendants accepted his order and soon prepared a fully equipped and horse-drawn four-bell chariot and brought it to him. They also got the four pronged army comprising of cavalry, elephant brigade, 5 chariot brigade and infantry, ready to march. After doing all this they 41 reported back to him.
[५] तए णं से वरुणे नागनत्तुए जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति जहा कूणिओ (सु. ८) जाव के पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिते सन्नद्धबद्ध० सकोरेंटमल्लदामेणं जाव धरिज्जमाणेणं अणेगगणनायग जाव दूयसंधिवाल० सद्धिं संपरिवुड़े मज्जणघराओ पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया ॥
उवट्ठाणसाला जेणेव चातुघंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चातुघंटं आसरहं दुरूहइ, दुरूहित्ता ॐ हय-गय-रह जाव संपरिबुडे महता भडचडगर० जाव परिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणेव उवागच्छइ, . उवागच्छित्ता रहमुसलं संगामं ओयाए।
[५] तत्पश्चात् वह वरुण नागनप्तृक, जहाँ स्नानगृह था, वहाँ आया। इसके पश्चात् यावत् कौतुक के है और मंगलरूप प्रायश्चित्त (विघ्ननाशक) किया, सर्व अलंकारों से विभूषित हुआ, कवच पहना,
कोरंटपुष्यों की मालाओं से युक्त छत्र धारण किया, इत्यादि सारा वर्णन कूणिक राजा की तरह कहना है 卐 चाहिए। फिर अनेक गणनायकों, दूतों और सन्धिपालों के साथ परिवृत होकर बाहर की उपस्थानशाला के
में आया और सुसज्जित चातुर्घण्ट अश्वरथ पर आरूढ़ हुआ। रथ पर आरूढ़ होकर अश्व, गज, रथ ॐ और योद्धाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना के साथ, यावत् महान् सुभटों के समूह से परिवृत होकर रथमूसल संग्राम में आया।
[5] After that Varun Naag-naptrik approached and entered his bathroom... and so on up to... performed various propitious rites for protection against evil eye and other bad omens. He then embellished his body with ornaments. He put on his armour... and so on up to... umbrella with white Korant flowers (as described about King Kunik). Then he came to the outer courtyard surrounded by many chieftains, ambassadors and diplomats and boarded the fully equipped and horse
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सप्तम शतक: नवम उद्देशक
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Seventh Shatak: Ninth Lesson
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