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पुबे, तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे, हूहूयंगे, हूहूए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, लिणंगे, णलिणे, अत्थणिउरंगे, अत्थणिउरे, अउयंगे, अउए, णउयंगे, णउए, पउयंगे, पउए, चूलियंगे, चूलिए, सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया, पलिओवमेण, सागरोवमेण वि भाणियव्वो ।
१९. जिस प्रकार 'अयन' के सम्बन्ध में कहा; उसी प्रकार 'संवत्सर' के विषय में भी कहना चाहिए । तथैव युग, वर्षशत, वर्षसहस्र, वर्षशतसहस्र, पूर्वांग, पूर्व, त्रुटितांग, त्रुटित, अटटांग, अटट, अववांग, अवव, हूहूकांग, हूहूक, उत्पलांग, उत्पल, पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अर्थनूपुरांग, अर्थनूपुर, अयुतांग, अयुत, नयुतांग, नयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग, शीर्षप्रहेलिका, पल्योपम और सागरोपम; ( इन सब ) के सम्बन्ध में भी (पूर्वोक्त प्रकार से ) कहना चाहिए।
19. As has been said about solstice (Ayan) so should be repeated for Samvatsar. So also for Yug, Varshashat, Varshasahasra, Varshashatsahasra, Purvanga, Purva, Trutit, Atatanga, Atata, Avavanga, Avava, Huhukanga, Huhuka, Utpalanga, Utpala, Padmanga, Padma, Nalinanga, Nalina, Arthanupuranga, Arthanupura, Ayutanga, Ayut, Nayutanga, Nayuta, Prayutanga, Prayuta, Chulikanga, Chulika, Sheershaprahelikanga, Sheershaprahelika, Palyopam and Sagaropam.
२०. [प्र.] जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जति तया णं उत्तरड्ढे वि पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जइ ? जया णं उत्तरड्ढे वि पडिज्जइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थम- पच्चत्थिमेणं वत्थि ओसप्पिणी, णेवत्थि उस्सप्पिणी, अवट्ठिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो !
[उ. ] हंता, गोयमा ! तं चैव उच्चारेयव्वं जाव समणाउसो !
२०. [.] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप नामक द्वीप के दक्षिणार्द्ध में प्रथम अवसर्पिणी ( अवसर्पिणी का प्रथम आरा) होती है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी प्रथम अवसर्पिणी होती है ? और जब उत्तरार्द्ध में प्रथम अवसर्पिणी होती है, तब क्या जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व-पश्चिम में अवसर्पिणी नहीं होती ? उत्सर्पिणी नहीं होती ? किन्तु हे आयुष्मान् श्रमणपुंगव ! क्या वहाँ अवस्थित (स्थिर) काल कहा गया है ?
[.] हाँ, गौतम ! इसी तरह होता है । यावत् ( श्रमणपुंगव ! तक) पूर्ववत् सारा वर्णन कह देना चाहिए।
20. [Q] Bhante ! In the southern half of the continent named Jambudveep, when it is the first Avasarpini (the first epoch of the regressive cycle of time) then in the northern half too is it the first Avasarpini ? And when it is the first Avasarpini in the northern half then in the region east and west of the Meru mountain in Jambudveep is there neither Avasarpini nor Utsarpini but Avasthit Kaal (changeless time in context of conditions ), O Long lived Shraman ?
[Ans.] Yes, Gautam ! (It is like that - )... and so on up to... O Long lived Shraman.
पंचम शतक प्रथम उद्देशक
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Fifth Shatak: First Lesson
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