________________
9555555555555555555555555555555555555555555555
85555555555555555555555555555558
१२. [प्र. ] भगवन् ! काम-भोग कितने प्रकार के हैं ? [उ. ] गौतम ! काम-भोग पाँच प्रकार के हैं। यथा-शब्द, रूप, गन्ध, रस और स्पर्श।
12. (Q.) Bhante ! How many kinds of kaam-bhoga (cerebral-physical experiences) are there?
(Ans.] Gautam ! Cerebral-physical experiences are of five kinds-(1) sound (shabd), (2) appearance or form (rupa), (3) smell (gandh), (4) taste (rasa) and (5) touch (sparsh).
१३.[प्र.१] जीवा णं भंते ! किं कामी ? भोगी ? [उ.] गोयमा ! जीवा कामी वि, भोगी वि। १३. [प्र.१] भगवन् ! जीव कामी हैं अथवा भोगी हैं ? [उ.] गौतम ! जीव कामी भी हैं और भोगी भी हैं।
13. (Q. 1] Bhante ! Do living beings (jivas) have cerebral experience or physical experience ?
(Ans.] Gautam ! Living beings (jivas) have cerebral experience as well as physical experience.
[प्र. २ ] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्छति 'जीवा कामी वि, भोगी वि' ? ज [उ.] गोयमा ! सोइंदिय-चविखंदियाइं पडुच्च कामी, घाणिंदिय-जिभिंदिय-फासिंदियाइं पडुच्च
भोगी। से तेणटेणं गोयमा ! जाव भोगी वि।
[प्र. २ ] भगवन् ! ऐसा किस अपेक्षा से कहा जाता है कि जीव कामी भी हैं और भोगी भी हैं ? ।
[उ.] गौतम ! श्रोत्रेन्द्रिय और चक्षुरिन्द्रिय की अपेक्षा से जीव कामी हैं और घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय एवं स्पर्शनेन्द्रिय की अपेक्षा से जीव भोगी हैं। इस अपेक्षा से, हे गौतम ! जीव कामी भी हैं और भोगी भी हैं।
[Q.2] Bhante ! Why is it said that living beings (jivas) have cerebral experience as well as physical experience ?
(Ans.] Gautam ! In relation to the sense organs of hearing (shrotrendriya) and seeing (chakshurindriya) living beings have cerebral experience and in relation to the sense organs of smell (ghranendriya), taste (jihvendriya) and touch (sparshanendriya) they have physical experience. That is why, Gautam ! they have cerebral experience as well as physical experience.
१४.[प्र.] नेरइया णं भंते ! किं कामी ? भोगी ? [उ.] एवं चेव। १५. एवं जाव थणियकुमारा।
B5555555555555555555555555555555555555555555555558
सप्तम शतक: सप्तम उद्देशक
(413)
Seventh Shatak : Seventh Lesson
8555555555555555555555555555555555555558
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org