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55555555555555555555555步步步步步步步步步步步步日 ॐ वही यथासूत्र (सूत्रों-नियमों के अनुसार) प्रवृत्ति करता है। इस कारण से, हे गौतम ! संवृत अनगार + उपयोगयुक्त दशा में चलता है, यावत् उसे साम्परायिकी क्रिया नहीं लगती।
[Q.2] Bhante ! Why is it said that the said Samvrit Anagaar is said to be performing Iryapathiki kriya and not Samparayiki kriya ?
(Ans.) Gautam ! One whose anger, conceit, deceit and greed have disintegrated (suppressed or destroyed) is said to perform Iryapathiki kriya (an ascetic at the 11th, 12th and 13th Gunasthan). This is because he alone acts as prescribed in scriptures (yathasutra). That is why, Gautam ! Samvrit Anagaar, is always in a state of alertness... and so on
up to... is said to be not performing Samparayiki kriya. - विवेचन : शतक ७, उद्दे. १ के सूत्र १६ के अनुसार उक्त सभी कथन समझें। ___Elaboration-Refer to Aphorism 16 of Lesson 1 of Chapter 7 for
detailed explanation. 卐 काम-भोग सम्बन्धी विचारण CEREBRAL EXPERIENCES AND PHYSICAL EXPERIENCES
२.[प्र.] रूवी भंते ! कामा ? अरूवी कामा ? [उ. ] गोयमा ! रूवी कामा समणाउसो ! नो अरूवी कामा। ३. [प्र.] सचित्ता भंते ! कामा ? अचित्ता कामा ? [उ. ] गोयमा ! सचित्ता वि कामा, अचित्ता वि कामा। ४.[प्र.] जीवा भंते ! कामा ? अजीवा कामा ? [उ. ] गोयमा ! जीवा वि कामा, अजीवा वि कामा।
५.[प्र. ] जीवाणं भंते ! कामा ? अजीवाणं कामा ? [उ. ] गोयमा ! जीवाणं कामा, नो अजीवाणं कामा। ६.[प्र.] कतिविहा णं भंते ! कामा पण्णत्ता ? [उ. ] गोयमा ! दुविहा कामा पण्णत्ता, तं जहा-सदा य, रूवा य। २. [प्र. ] भगवन् ! काम रूपी हैं या अरूपी हैं ? [उ. ] गौतम ! काम रूपी हैं, अरूपी नहीं हैं। ३. [प्र. ] भगवन् ! काम सचित्त हैं अथवा अचित्त हैं ? [उ. ] गौतम ! काम सचित्त भी हैं और काम अचित्त भी हैं। ४. [प्र. ] भगवन् ! काम जीव हैं अथवा अजीव हैं ? [उ. ] गौतम ! काम जीव भी हैं और अजीव भी हैं।
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भगवती सूत्र (२)
(410)
Bhagavati Sutra (2)
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