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सप्तम शतक : सप्तम उद्देशक SEVENTH SHATAK (Chapter Seven): SEVENTH LESSON
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अनगार ANAGAAR (HOMELESS-ASCETIC) संवृत अनगार और क्रिया ACTIVITIES OF A SAMVRIT ASCETIC
१. [प्र. १ ] संवुडस्स णं भंते अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स जाव आउत्तं तुयट्टमाणस्स, आउत्तं है वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गिण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा, तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया 9 किरिया कज्जति ? संपराइया किरिया कज्जति ? क [उ. ] गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स जाव तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जति, णो संपराइया
किरिया कज्जति। म १. [प्र. १ ] भगवन् ! उपयोगपूर्वक चलते-बैठते, यावत् उपयोगपूर्वक करवट बदलते (सोते) + तथा उपयोगपूर्वक वस्त्र, पात्र, कम्बल, पादपोंछन (रजोहरण) आदि ग्रहण करते और रखते हुए उस
संवृत (संवरयुक्त) अनगार को क्या ऐर्यापथिकी क्रिया लगती है अथवा साम्परायिकी क्रिया लगती है ? ज [उ. ] गौतम ! उपयोगपूर्वक गमन करते हुए यावत् रखते हुए उस संवृत अनगार को ऐपिथिकी क्रिया लगती है, किन्तु साम्परायिकी क्रिया नहीं लगती।
1. [Q. 1] Bhante ! While walking and sitting... and so on up to... turning in bed carefully as also while accepting and keeping garb carefully, is a Samurit Anagaar (an ascetic who has blocked the inflow of karmas) said to be performing Iryapathiki kriya (careful activity of an accomplished ascetic) or Samparayiki kriya (passion inspired activity)?
[Ans.] Gautam ! While walking... and so on up to... keeping garb carefully, a Samvrit Anagaar is said to be performing Iryapathiki kriya (careful activity of an accomplished ascetic) and not Samparayiki kriya (passion inspired activity).
[प्र. २ ] से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ 'संवुडस्स णं जाव नो संपराइया किरिया कज्जति' ?
[उ. ] गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जति तहेव जाव उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जति, से णं अहासुत्तमेव रीयति; से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो संपराइया किरिया कज्जति।
[प्र. २ ] भगवन् ! यह किस कारण से कहते हैं कि उस संवृत अनगार को ऐर्यापथिकी क्रिया लगती है, किन्तु साम्परायिकी क्रिया नहीं लगती?
[उ. ] गौतम ! जिसके क्रोध, मान, माया और लोभ व्यवच्छिन्न (अनुदयप्राप्त अथवा सर्वथा क्षीण) हो गये हैं, उस (११-१२-१३वें गुणस्थानवर्ती अनगार) को ही ऐर्यापथिकी क्रिया लगती है, क्योंकि
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सप्तम शतक: सप्तम उद्देशक
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