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जीव JIVA (LVING BEINGS)
षड्विध संसारसमापत्रक जीव SIX KINDS OF WORLDLY LIVING BEINGS १. रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी
२. [.] कतिविहाणं भंते ! संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता ?
[ उ. ] गोयमा ! छव्विहा संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइया एवं जहा जीवाभिगमे
जाव सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा ।
सप्तम शतक : चतुर्थ उद्देशक
SEVENTH SHATAK (Chapter Seven) : FOURTH LESSON
[ संग्रहणी गाथा (वाचनान्तरे ) - जीवा छव्विह पुढवी जीवाण ठिती, भवट्ठिती काए । निल्लेवण अणगारे किरिया सम्मत्त मिच्छत्ता ॥ ]
सेवं भंते! सेवं भंते त्ति० !
।। सत्तम सए : चउत्थो उद्देसओ समत्तो ॥
१. राजगृह नगर में (श्री गौतम स्वामी ने ) श्रमण भगवान महावीर से इस प्रकार पूछा
२. [ प्र. ] भगवन् ! संसारसमापन्नक (संसारी) जीव कितने प्रकार के हैं ?
[ उ. ] गौतम ! संसारसमापन्नक जीव छह प्रकार के हैं । यथा - (१) पृथ्वीकायिक, (२) अष्कायिक, (३) तेजस्कायिक, (४) वायुकायिक, (५) वनस्पतिकायकि, एवं (६)
सकायिक |
2. [Q.] Bhante ! How many kinds of worldly living beings ( Samsar5 samapannak jivas) are there ?
इस प्रकार यह समस्त वर्णन जीवाभिगमसूत्र के तिर्यंच - सम्बन्धी दूसरी उद्देशक में कहे अनुसार सम्यक्त्वक्रिया और मिथ्यात्वक्रिया पर्यन्त कहना चाहिए।
[ गाथा का अर्थ - (१) जीव के छह भेद, (२) पृथ्वीकायिक जीवों के छह भेद, (३) पृथ्वीकायिक आदि जीवों की स्थिति, भवस्थिति, सामान्य कायस्थिति, (४) निर्लेपन, (५) अनगार - सम्बन्धी वर्णन, (६) सम्यक्त्वक्रिया और मिथ्यात्वक्रिया ।]
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1. In the city of Rajagriha... and so on up to... Gautam Swami asked 5 Shraman Bhagavan Mahavir as follows:
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[Ans.] Gautam ! Worldly living beings (samsar-samapannak jivas) are
of six kinds-(1) earth-bodied (prithvikayik), (2) water-bodied (apkayik),
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(3) fire-bodied (tejaskayik), (4) air-bodied (vayukayik), (5) plant-bodied 5 5 (vanaspatikayik), and ( 6 ) mobile-bodied (traskayik). This way the whole
भगवती सूत्र ( २ )
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Bhagavati Sutra (2) 卐
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