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प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेद CATEGORIES AND SUB-CATEGORIES OF RENOUNCING
२. [प्र. ] कतिविहे णं भंते ! पच्चक्खाणे पण्णत्ते ? [उ.] गोयमा ! दुविहे पच्चक्खाणे पण्णत्ते, तं जहा-मूलगुणपच्चक्खाणे य उत्तरगुणपच्चक्खाणे य। २. [प्र. ] भगवन् ! प्रत्याख्यान कितने प्रकार का है ?
[उ. ] गौतम ! प्रत्याख्यान दो प्रकार का है। यथा-(१) मूलगुण प्रत्याख्यान, और (२) उत्तरगुण प्रत्याख्यान।
2. (Q.) Bhante ! Of how many kinds is renunciation (pratyakhyan) ?
[Ans.) Gautam ! Renunciation is of two kinds—(1) Mool-guna pratyakhyan (basic-virtue enhancing renunciation) and (2) Uttar-guna pratyakhyan (auxiliary-virtue enhancing renunciation).
३. [प्र. ] मूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? [उ. ] गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सवमूलगुणपच्चक्खाणे य देसमूलगुणपच्चक्खाणे य।
४. [प्र. ] सबमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? _[उ. ] गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-सव्वाओ पाणातिवायाओ, वेरमणं जाव सब्बाओ परिग्गहाओ वेरमणं।
३. [प्र. ] भगवन् ! मूलगुण प्रत्याख्यान कितने प्रकार का है?
[उ. ] गौतम ! वह दो प्रकार का है। यथा-(१) सर्व-मूलगुण प्रत्याख्यान, और (२) देश-मूलगुण प्रत्याख्यान।
४. [प्र. ] भगवन् ! सर्व-मूलगुण प्रत्याख्यान कितने प्रकार का है?
[उ.] गौतम ! वह पाँच प्रकार का है। यथा-(१) सर्व-प्राणातिपात से विरमण, (२) सर्व-मृषावाद से विरमण, (३) सर्व-अदत्तादान से विरमण, (४) सर्व-मैथुन से विरमण, और (५) सर्व-परिग्रह से विरमण।
3. (Q.) Bhante ! Of how many kinds is Mool-guna pratyakhyan (basicvirtue enhancing renunciation)?
[Ans.] Gautam ! It is of two kinds-(1) Sarva-mool-guna pratyakhyan (complete basic-virtue enhancing renunciation) and (2) Desh-mool-guna pratyakhyan (partial basic-virtue enhancing renunciation).
4. (Q.) Bhante ! Of how many kinds is Sarva-mool-guna pratyakhyan (complete basic-virtue enhancing renunciation) ?
[Ans.] It is of five kinds-(1) Sarva Pranatipat viraman (to abstain completely from harming or destroying life), (2) Sarva Mrishavad | सप्तम शतक : द्वितीय उद्देशक
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Seventh Shatak: Second Lesson
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