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__ चित्र परिचय-९ ।
Illustration No. 9
कर्मरहित जीव की ऊर्ध्वगति कैसे ?
कर्मरहित जीव ऊर्ध्वगति में कैसे जाता है ? इसके छह हेतु हैं-१. निःसंगता-निर्लेप होने से, २. नीरागता-मोह मुक्त हो जाने से, ३. गतिपरिणाम-जीव का ऊर्ध्वगमन स्वभाव होने के कारण, ४ बंध छेद-गति में बन्धन या रुकावट हट। 5 जाने पर, ५. निरिन्धनता-ईंधन का अभाव होने से, ६. पूर्व प्रयोग-पहले किये गये प्रयत्न की संप्रेषणता बनी रहने से।
उदाहरण-१., २., ३. किसी ने एक अखण्ड सूखा तुम्बा लेकर उस पर नारियल की जटा तथा कुश-सूखी घास लपेटी। फिर उस पर आठ बार मिट्टी का लेप लगाकर धूप में सुखाया। सूखने पर उसे गहरे जल में डुबो दिया। मिट्टी आदि के लेप से भारी तुम्बा जल में डूब गया। फिर धीरे-धीरे ज्यों-ज्यों मिट्टी के लेप हटते गये, तुम्बा हल्का होकर
स्वतः ऊपर उठता गया। इसी प्रकार कर्ममल का लेप हटने से, भोगासक्ति कम होने से तथा हल्की वस्तुएँ ऊपर उठने का 卐 स्वभाव होने के कारण आत्मा ऊर्ध्वगमन करता है।
४. बंधच्छेद-मूंग की फली, (अथवा एरण्ड व सेम आदि की फली) सूख जाने पर अपने आप फट जाती है और उसका बीज (दाना) उछलकर बाहर आ जाता है।
५. निरिन्धनता-ईंधन जलने पर धुआँ हल्का होने से स्वभावतः ऊपर उठता है।
६. पूर्व प्रयोग-किसी ने पूरी ताकत लगाकर बाण छोड़ा तो धनुष से छूटा बाण बिना रुके अपने लक्ष्य तक पहुँच जाता है। अथवा कुम्हार ने दण्डे से चाक घुमाकर छोड़ दिया तब भी बहुत देर तक वह पूर्व-प्रयोग वश स्वतः घूमता रहता है। इसी प्रकार कर्मरहित जीव शरीर का बंधन छूट जाने से ऊर्ध्वगमन करता है।
--शतक ७, उ. १, सूत्र ११
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UPWARD MOVEMENT OF KARMA-FREE SOUL There are six reasons for the upward movement of karma-free--(1) Nihsangata---nonassociation, (2) Niraagata---absence of attachment or fondness, (3) Gati parinaamupward movement orientation, (4) Bandhachhed-destruction of bondage or obstruction, (5) Nirindhanata-absence of fuel, and (6) Purva prayogata-inertia of prior endeavour.
Examples 1, 2, 3. A person anoints and wraps an intact and dry gourd with coconut husk and grass. After that he plasters it eight times with clay and puts it in sun (to dry). He then throws it in a deep water body. That gourd weighed by layers of clay submerges in the water. When the layers of clay dissolve into the water, it gradually rises to the surface. In the same way on becoming free of karmic association and attachment, a karma-free soul moves upward due to its natural upward movement orientation.
4. Bandhachhed-When a pod of pea, green gram, Udad and beans or Erand fruit is put in sun to dry, it bursts and the seed is thrown out at a distance.
5. Nirindhanata-Smoke emanating from a (burning) fuel naturally moves upwards in absence of any obstruction.
6. Purva prayogata--An arrow launched from a bow rushes towards the target in absence of an obstructions. Also a potter's wheel continues to rotate even after the hand stops moving it. In the same way a karma-free soul moves with the force of prior endeavour when free of the bondage of its body.
-Shatak-7, lesson-1, Sutra-11 .
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