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| चित्र परिचय-८
Illustration No. 8
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विग्रह गति और लोक संस्थान १. एक समय की ऋजुगति-मृत्यु स्थान से उत्पत्ति स्थान पर एक समय की ऋजुगति से जाने वाला जीव प्रथम समय में आहारी होता है।
२. दो समय की वक्रगति-मृत्यु स्थान से एक मोड़ लेकर वक्रगति से उत्पत्ति स्थान पर जाने वाले जीव को दो समय लगते हैं। तब प्रथम समय अनाहारक, दूसरे समय आहारक होता है।
३. तीन समय-त्रस नाड़ी के बाहर से त्रस नाड़ी में प्रवेश कर पुनः त्रस नाड़ी के बाहर उत्पन्न होने वाले जीव को उत्पत्ति स्थान तक जाने में दो मोड़ लेने पड़ते हैं, तीन समय लगते हैं। प्रथम दो समय में वह अनाहारक तथा तीसरे समय में आहारक होता है।
४. चार समय-त्रस नाड़ी के बाहर विदिशा से पहले सीधी दिशा में फिर त्रस नाड़ी में, फिर ऊपर सीध में तथा पुनः मोड़ लेकर त्रस नाड़ी के बाहर उत्पन्न होने पर चार समय लगते हैं। जीव प्रथम तीन समय अनाहारक रहता है। टीका आदि ग्रन्थों में पाँच समय की वक्र गति का कथन भी है।
-शतक ७, उ. १, सूत्र ३ लोक संस्थान-चौदह राजू ऊँचा लोक नीचे मूल में, अधोलोक में सात रज्जू चौड़ा है। अधोलोक का संस्थान उल्टे सिकोरे जैसी आकृति में बनता है। मध्यलोक झालर; पूर्ण चन्द्रमा या थाली का आकार में दिखाई देता है और ऊर्ध्वलोक खड़े मृदंग (ढोलक) की आकृति में नीचे-ऊपर सँकड़ा बीच में चौड़ा दिखाई देता है। (चित्र में तीनों दृश्य अलग-अलग दिखाये हैं)
-शतक ७.उ. १. सूत्र ४
OBLIQUE MOVEMENT AND STRUCTURE OF LOK 1. Straight movement of one Samaya-On death when a jiva moves in a straight line to the new place of birth then at the first Samaya he is ahaarak (with intake).
2. Oblique movement of two Samayas-In the oblique movement if he takes just one turn and takes birth at the second Samaya then at the first Samaya he remains anahaarak and at the second Samaya he becomes ahaarak.
3. Three Samayas-A jiva entering Tras Nadi, going out again and then taking birth, has to take two turns taking three Samayas. During the first two Samayas he remains anahaarak and at the third Samaya he becomes ahaarak.
4. Four Samayas-Ajiva entering Tras-naadi from some other direction first has a vertical movement. Then it takes a horizontal turn to enter the Tras-naadi. It then takes a vertical turn and again a horizontal turn to come out of the Tras-naadi and get born. He takes four Samayas in this process and during the first three remains anahaarak.
In Tika and other commentaries there is a mention of oblique movements taking five Samayas.
-Shatak-7, lesson-1, Sutra-3 Structure of Lok-The total height of Lok from base to top is 14 Rajjus. It is 7 4 Rajjus wide at the base. The shape of Adholok is like an upturned cup. Middle world or Tiryak Lok is like a cymbal, full moon or a round plate and Urdhvalok is wide at 4 middle and narrow at ends like an upturned Mridang (a cask-shaped drum).
-Shatak-7, lesson-1, Sutra-4
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