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________________ [उ. ] नो इणट्टे समट्ठे । १०. [ प्र.] अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए चंदाभा । ति वा सूराभा ति वा । [उ. ] णो इणट्टे समट्टे । २. [ प्र. ] भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे गृह (घर) अथवा गृहापण (दुकानें) आदि हैं ? [उ.] गौतम ! रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे गृह या गृहापण नहीं हैं। ३. [ प्र. ] भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे ग्राम यावत् सन्निवेश आदि हैं ? [ उ. ] गौतम ! रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे ग्राम यावत् सन्निवेश नहीं हैं। ४. [ प्र.] भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे महान् ( उदार) मेघ संस्वेद (बादलों के रूप में) को प्राप्त होते हैं, (घटा के रूप में) सम्मूर्च्छित होते हैं और वर्षा बरसाते हैं ? [उ. ] हाँ, गौतम ! ऐसा होता है। ५. भगवन् ! (महामेघों को संस्वेदित करने, सम्मूर्च्छित करने तथा वर्षा बरसाने का कार्य) ये तीनों कार्य देव भी करते हैं, असुर भी करते हैं और नाग भी करते हैं। ६-७. [ प्र. ] भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे बादर (स्थूल) स्तनित शब्द (मेघगर्जना की आवाज ) है ? [ उ. ] हाँ, गौतम ! बादर स्तनित शब्द है, जिसे (उपर्युक्त) तीनों ही करते हैं। ८. [ प्र. ] भगवन् ! क्या रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे बादर अग्निकाय है ? [उ. ] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। यह निषेध विग्रहगति समापन्नक जीवों के सिवाय (दूसरे जीवों के लिए समझना चाहिए)। ९. [ प्र. ] भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे क्या चन्द्रमा, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप हैं ? [उ. ] ( गौतम !) यह अर्थ समर्थ नहीं है। १०. [ प्र. ] भगवन् ! क्या इस रत्नप्रभा पृथ्वी में चन्द्राभा (चन्द्रमा का प्रकाश), सूर्याभा ( सूर्य का प्रकाश आदि) हैं ? # [उ. ] ( गौतम !) ऐसा नहीं है। 2. [Q.] Bhante ! Are there houses or shops (grihapan) below this Ratnaprabha prithvi ? [Ans.] Gautam ! It is not so. 3. [Q.] Bhante ! Are there villages... and so on up to... sannivesh (temporary settlement) below this Ratnaprabha prithvi ? [Ans.] Gautam ! It is not so. भगवती सूत्र ( २ ) (292) Jain Education International Bhagavati Sutra (2) फफफफफफफफ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002903
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages654
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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