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hexagonal; the two outer krishna-rajis of north and south are triangular; the two inner krishna-rajis of east and west are square; and the two inner krishna-rajis of north and south are also square.
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Verse-The outer krishna-rajis of east and west are hexagonal and 卐 those of north and south are triangular. All the inner krishna-rajis are square. (see the illustration)
१९. [प्र.] कण्हराईओ णं भंते ! केवइय आयामेणं, केवइयं विक्खंभेणं, केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ताओ ?
[उ. ] गोयमा ! असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं आयामेणं, संखेज्जाई जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पण्णत्ताओ ।
१९. [प्र. ] भगवन् ! कृष्णराजियों का आयाम - (लम्बाई), विष्कम्भ - (विस्तार- चौड़ाई) और परिक्षेप - (घेरा = परिधि) कितना है ?
[उ. ] गौतम ! कृष्णराजियों का आयाम असंख्यात हजार योजन है, विष्कम्भ संख्यात हजार योजन है और परिक्षेप असंख्यात हजार योजन है।
19. [Q.] Bhante ! What is the length (aayaam), breadth or spread (vishkambh) and circumference (parikshep) of the krishna-rajis ?
2595959595959595555555 5 55 55 5 5955 59595955 55 5 5 555 5955 595959595959595952
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[Ans.] The length (aayaam) of the krishna-rajis is innumerable फ्र thousand Yojans, the breadth or spread (vishkambh) is countable thousand Yojans and the circumference (parikshep) is innumerable thousand Yojans.
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२०. [प्र.] कण्हराईओ णं भंते ! केमहालियाओ पण्णत्ताओ ?
[उ. ] गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे जाव अद्धमासं वीतीवएज्जा । अत्थेगइयं कण्हराई वीतीवएज्जा, 5 अत्थेगइयं कण्हराई णो वीईवएज्जा । एमहालियाओ णं गोयमा ! कण्हराईओ पण्णत्ताओ।
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२०. [ प्र. ] भगवन् ! कृष्णराजियाँ कितनी बड़ी हैं ?
[ उ. ] गौतम ! तीन चुटकी बजाये, उतने समय में इस सम्पूर्ण जम्बूद्वीप की इक्कीस बार परिक्रमा फ्र करके आ जाये - इतनी शीघ्र दिव्यगति से कोई देव लगातार एक दिन, दो दिन, यावत् अर्द्ध-मास (१५ दिन ) तक चले, तब कहीं वह देव किसी कृष्णराजि को पार कर पाता है और किसी कृष्णराजि को पार नहीं कर पाता । गौतम ! कृष्णराजियाँ इतनी बड़ी हैं।
20. [Q.] Bhante ! How vast are the krishna-rajis ?
[Ans.] Gautam ! Suppose a god goes around this Jambudveep 21 फ्र times and returns within the time taken in snapping his finger thrice. If such a god moves with such great and fast divine speed for one day, two
भगवती सूत्र (२)
Bhagavati Sutra (2)
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