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ऊ [२ ] एवं आउगवज्जाओ सत्त वि।
[३] आउगे हेडिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले णं बंधइ।
१४. [प्र. १ ] भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म क्या संयत बाँधता है, असंयत बाँधता है, संयताॐ संयत बाँधता है और नोसंयत-नोअसंयत-नोसंयतासंयत बाँधता है ? की [उ. ] गौतम ! (ज्ञानावरणीय कर्म को) संयत कदाचित् बाँधता है और कदाचित् नहीं बाँधता, ॐ किन्तु असंयत बाँधता है, संयतासंयत भी बाँधता है, परन्तु नोसंयत-नोअसंयत-नोसंयतासंयत (सिद्ध + आत्मा) नहीं बाँधता।
[ २ ] इस प्रकार आयुष्य कर्म को छोड़कर शेष सातों कर्मप्रकृतियों के विषय में समझना चाहिए।
[३] आयुष्य कर्म के सम्बन्ध में नीचे के तीन-संयत, असंयत और संयतासंयत के लिए भजना 卐 समझनी चाहिए। (अर्थात्-कदाचित् बाँधते हैं और कदाचित् नहीं बाँधते) नोसंयत-नोअसंयतनोसंयतासंयत (सिद्ध) आयुष्य कर्म को नहीं बाँधते।
14. (Q. 1] Bhante ! Does a samyat (the restrained) acquire bondage of Jnanavaraniya karma ? Does an asamyat (the unrestrained) acquire that ? Does a samyat-asamyat (the restrained-un-restrained) acquire that ? Or does a no-samyat, no-asamyat and no-samyatasamyat
(the non-restrained, non-unrestrained and non-restrained-unrestrained) | acquire that?
[Ans.] Gautam ! A samyat sometimes acquires bondage of Jnanavaraniya karma and sometimes does not. But an asamyat as well as a samyat-asamyat acquires that. However, no-samyat, no-asamyat and no-samyat-asamyat (a Siddha) does not.
[2] The same is true for all seven species of karmas except for Ayushya karma.
[3] Regarding Ayushya karma, the first three i. e. samyat (the restrained), asamyat (the non-restrained) and samyat-asamyat (the
restrained-un-restrained) sometimes acquire bondage and sometimes 51 not. The last three i. e. no-samyat, no-asamyat and no-samyat-asamyat
(a Siddha) do not acquire that. ७. सम्यग्द्रष्टि द्वार SEVENTH PORT : SAMYAGDRISHTI (RIGHTEOUS)
१५. [प्र. १] णाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं किं सम्मदिट्ठी बंधइ, मिच्छदिट्ठी बंधइ, सम्मामिछदिट्ठी बंधइ ? म [उ. ] गोयमा ! सम्मदिट्ठी सिय बंधइ सिय नो बंधइ, मिच्छदिट्ठी बंधइ, सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ।।
भगवती सूत्र (२)
(198)
Bhagavati Sutra (2)
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