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| चित्र परिचय-६ ।
Illustration No.6
वेदना और निर्जरा की चौभंगी १. महावेदना-महानिर्जरा-कुछ जीव जैसे प्रतिमाधारी अणगार, उन्हें अनेक प्रकार के घोरातिघोर उपसर्ग उत्पन्न होने पर वे पूर्ण समता व समाधि पूर्वक उसे सहन कर महावेदना महानिर्जरा करते हैं।
२. महावेदना-अल्पनिर्जरा-कुछ जीव, जैसे छठी-सातवीं नरक के नैरयिक अनेक प्रकार की महावेदना तो भोगते हैं, परन्तु साथ में आर्त-रौद्र ध्यान रहने से उनकी आत्म-शुद्धि नहींवत् रहती है। वे महावेदना अल्पनिर्जरा करते हैं। __३. अल्पेवदना-महानिर्जरा-कुछ आत्माएँ, जैसे शैलेशी अवस्था प्राप्त अणगार (१४वें गुणस्थानवर्ती केवली) समुद्घात आदि करके कर्मों की महानिर्जरा करते हैं, परन्तु इस अवस्था में उनको अल्पवेदना ही होती है।
४. अल्प वेदना-अल्पनिर्जरा-जैसे अनुत्तरौपपातिक देवों की वेदना भी अल्प होती है और कर्मनिर्जरा भी अल्प होती है।
-शतक ६, उ. १, सूत्र १३
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FOUR ALTERNATIVES OF PAIN AND SHEDDING
(1) Extensive pain and extensive shedding-An ascetic observing pratimas endures extensive pain (mahavedana) with equanimity and thereby has extensive shedding of karmas (mahanirjara).
(2) Extensive pain and little shedding-Infernal beings of the sixth and seventh hells suffer extensive pain but with grief and anger and thereby have little shedding of karmas (alpanirjara) and hardly any spiritual purity.
(3) Little pain and extensive shedding—Ascetics having attained the Shaileshi (rock-like steady) state (Kevali at 14th Gunasthan) are with little pain (alpavedana) and extensive shedding of karmas through Samudghat.
(4) Little pain and little shedding-Divine beings of the Anuttaropapatik realm are with little pain and little shedding of karmas.
-Shatak-6, lesson-1, Sutra-13
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