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२७. सेसा सब्बे सोवचया वि, सावचया वि, सोवचय-सावचया वि, निरुवचय-निरवचया वि। जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं अवट्ठिएहिं वक्कंतिकालो भाणियव्यो।
२७. शेष सभी जीव सोपचय भी हैं, सापचय भी हैं, सोपचय-सापचय भी हैं और निरुपचयनिरपचय भी हैं। इन चारों का काल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका का असंख्यातवाँ भाग है। अवस्थितों (निरुपचय-निरपचय) में व्युत्क्रान्तिकाल (विरहकाल) के अनुसार कहना चाहिए।
27. All the remaining beings are with augmentation (sopachaya), with de-augmentation (sapachaya), with augmentation and de-augmentation (sopachaya-sapachaya) and without augmentation and de-augmentation (nirupachaya-nirapachaya). The period they remain in these four conditions is minimum of one Samaya and maximum uncountable fraction of an Avalika. With regard to the constant state (without augmentation and de-augmentation) it is like the period when there is neither birth nor death (vyutkranti kaal or virah kaal).
२८. [प्र. १] सिद्धा णं भंते ! केवइयं कालं सोवचया ? [उ. ] गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अट्ठ समया। २८. [प्र. १ ] भगवन् ! सिद्ध भगवान कितने काल तक सोपचय रहते हैं ? [उ. ] गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आठ समय तक वे सोपचय रहते हैं।
28. [Q. 1] Bhante ! How long do Siddhas (liberated souls) remain with augmentation (sopachaya) ?
[Ans.] Gautam ! Siddhas remain with augmentation (sopachaya) for a minimum of one Samaya and maximum of eight Samayas.
[प्र. २ ] केवइयं कालं निरुवचय-निरवचया ? [उ. ] जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
॥पंचमसए : अट्ठमो उद्देसओ समत्तो ॥ [प्र. २ ] सिद्ध भगवान, निरुपचय-निरपचय कितने काल तक रहते हैं ? [उ. ] (गौतम !) वे जघन्य एक समय और उत्कृष्ट छह मास तक निरुपचय-निरपचय रहते हैं।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है' यों कहकर गौतम स्वामी यावत् वेचरने लगे।
[Q.2] Bhante ! How long do Siddhas (liberated souls) remain without augmentation and de-augmentation (nirupachaya-nirapachaya)?
पंचम शतक : अष्टम उद्देशक
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Fifth Shatak : Eighth Lesson
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