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________________ फफफफफफफफफफफफ ************************************ sincerity and humility for this (his false statement). After seeking forgiveness he (ascetic Narad-putra) resumed his activities enkindling his soul with ascetic-discipline and austerities. 卐 (bhaavit) विवेचन : द्रव्यादेश आदि की परिभाषा - द्रव्य की अपेक्षा परमाणुत्व आदि का कथन करना द्रव्यादेश, क्षेत्र की अपेक्षा कथन करना क्षेत्रादेश, काल की अपेक्षा एक समय की स्थिति आदि का कथन कालादेश और एकगुण काला इत्यादि कथन करना भावादेश है। द्रव्यादि पुद्गलों की सप्रदेशता - अप्रदेशता का नियम - जो पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा से अप्रदेश - ( परमाणुरूप) है, क्षेत्र से एकप्रदेशावगाढ़ होने से नियमतः अप्रदेश है। क्योंकि परमाणु आकाश के एक प्रदेश का ही अवगाहन । काल से वह पुद्गल यदि एक समय की स्थिति वाला है तो अप्रदेश है और यदि अनेक समय की करता स्थिति वाला है तो सप्रदेश है। भाव की अपेक्षा से वह एकगुण काला आदि है तो अप्रदेश है और अनेकगुण काला आदि है तो सप्रदेश है। जो पुद्गल क्षेत्र की अपेक्षा अप्रदेश (एक क्षेत्रावगाढ़ ) होता है, वह द्रव्य से कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् क्योंकि क्षेत्र (आकाश) के एक प्रदेश में रहने वाले द्वयणुक आदि सप्रदेश हैं, किन्तु क्षेत्र की अप्रदेश होता अपेक्षा से वे अप्रदेश हैं । जो पुद्गल क्षेत्र से अप्रदेश है, वह काल से कदाचित् अप्रदेश और कदाचित् सप्रदेश इस प्रकार होता है। जैसे - कोई पुद्गल क्षेत्र से एक प्रदेश में रहने वाला है, वह यदि एक समय की स्थिति वाला है तो कालापेक्षया अप्रदेश है, किन्तु यदि वह अनेक समय की स्थिति वाला है तो कालापेक्षया भी सप्रदेश है। जो पुद्गल क्षेत्र की अपेक्षा अप्रदेश है, यदि वह एकगुण काला आदि है तो भाव की अपेक्षा भी अप्रदेश है, किन्तु यदि वह अनेकगुण काला आदि है तो क्षेत्र की अपेक्षा सप्रदेश होते हुए भी भाव की अपेक्षा से अप्रदेश है। क्षेत्र से अप्रदेश पुद्गल के कथन की तरह काल और भाव से भी कथन करना चाहिए। यथा-जो पुद्गल काल से अप्रदेश होता है, वह द्रव्य से, क्षेत्र से और भाव से कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होता है तथा जो पुद्गल भाव से अप्रदेश होता है, वह द्रव्य से, क्षेत्र से और काल से कदाचित् सप्रदेश होता है और कदाचित् अप्रदेश | द्रव्यादि की अपेक्षा पुद्गलों की सप्रदेशता के विषय में नियम- जो पुद्गल द्वयणुकादि रूप होने से द्रव्य से सप्रदेश होता है, वह क्षेत्र से कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होता है, क्योंकि वह यदि दो प्रदेशों में रहता है तो प्रदेश है, और एक ही प्रदेश में रहता है तो अप्रदेश है। इसी तरह काल से और भाव से भी कहना चाहिए। आकाश के दो या अधिक प्रदेशों में रहने वाला पुद्गल क्षेत्र से सप्रदेश है, वह द्रव्य से भी सप्रदेश ही होता है; क्योंकि जो पुद्गल द्रव्य से अप्रदेश होता है, वह दो आदि प्रदेशों में नहीं रह सकता। जो पुद्गल क्षेत्र से सप्रदेश होता है, वह काल से और भाव से कदाचित् सप्रदेश होता है, कदाचित् अप्रदेश होता है। जो पुद्गल काल से सप्रदेश होता है, वह द्रव्य से, क्षेत्र से और भाव से कदाचित् सप्रदेश होता है, कदाचित् अप्रदेश होता है। जो पुद्गल भाव से सप्रदेश होता है, वह द्रव्य से, क्षेत्र से और काल से कदाचित् सप्रदेश और कदाचित् अप्रदेश होता है। [(क) वृत्ति, पत्रांक २४१ से २४३ तक, (ख) भगवती सूत्र (हिन्दी विवेचन ), भा. २, पृ. ९००-९०१] Elaboration-Meanings of dravyadesh etc.-to describe particles of (etc.) in context of substance is dravyadesh (substantial or 卐 Bhagavati Sutra (2) matter भगवती सूत्र (२) फफफफफफफफफफफफफफ (138) கத்திமி****************************மிதிமிகு Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002903
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages654
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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