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日历历
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३९. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा-हेउं न जाणइ जाव हेउं अण्णाणमरणं मरति। ॐ ४०. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा-हेउणा ण जाणति जाव हेउणा अण्णाणमरणं मरति। ॐ ३९. पाँच हेतु (मिथ्यादृष्टि की अपेक्षा से) कहे हैं। यथा-(१) हेतु को नहीं जानता, (२) हेतु को
नहीं देखता, (३) हेतु की बोधप्राप्ति (श्रद्धा) नहीं करता; (४) हेतु को प्राप्त नहीं करता, और ॥ 4 (५) हेतुयुक्त अज्ञानमरण मरता है।
४०. पाँच हेतु कहे हैं। यथा-(१) हेतु से नहीं जानता, यावत् (५) हेतु से अज्ञानमरण मरता है।
39. Hetu (cause/who knows cause) is of five kinds (in context of unrighteous standpoint)-(1) does not (properly) know hetu, (2) does not (properly) see hetu, (3) does not have (proper) faith on hetu, (4) does not (properly) accept hetu and (5) embraces death of an ignorant with hetu. ___40. Hetu (cause/who knows cause) is of five kinds-(1) does not (properly) know through hetu... and so on up to... (5) embraces death of an ignorant through hetu.
४१. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ। ४२. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउणा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ। ४३. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरइ। ४४. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति०।
॥ पंचमसए : सत्तमो उद्देसओ समत्तो ॥ ४१. पाँच अहेतु कहे हैं-(१) अहेतु को जानता है; यावत् (५) अहेतुयुक्त केवलिमरण मरता है। ४२. पाँच अहेतु कहे हैं-(१) अहेतु द्वारा जानता है, यावत् (५) अहेतु द्वारा केवलिमरण मरता है। ४३. पाँच अहेतु कहे हैं-(१) अहेतु को नहीं जानता, यावत् (५) अहेतुयुक्त छद्मस्थमरण मरता है। ४४. पाँच अहेतु कहे हैं-(१) अहेतु से नहीं जानता, यावत् (५) अहेतु से छद्मस्थमरण मरता है।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है; यों कहकर यावत् श्री गौतम स्वामी विचरण करते हैं। ____41. Ahetu (non-cause) is of five kinds-(1) does know ahetu, (2) does see ahetu... and so on up to... (5) embraces death of a Kevali with ahetu.
42. Ahetu is of five kinds-(1) does know through ahetu... and so on + up to... (5) embraces death of a Kevali through ahetu. | भगवती सूत्र (२)
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Bhagavati Sutra (2)
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