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[20] After stating the life-span of five-sensed animals 卐 (Tiryanchayonik Panchendriya jivas) their breathing should be read ass
indeterminate. Their involuntary intake is every moment. Desire for voluntary intake arises after a minimum gap of one Antar-muhurt (less than fourty eight minutes) and maximum gap of two days. The remaining details should be read as those already mentioned with regard to four-sensed beings up to 'they do not shed unmoving karmas.' मनुष्य एवं देवादि विषयक चर्चा HUMAN AND DIVINE BEINGS __ [२१] एवं मणुस्साण वि। नवरं आभोगनिवत्तिए जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स।
सोइंदिय ५ वेमायत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमंति। सेसं तहेव जाव निजरेंति। __[२१] मनुष्यों के सम्बन्ध में भी ऐसा जानना चाहिए; किन्तु इतना विशेष है कि उनका
आभोगनिर्वर्तित आहार जघन्य अन्तर्मुहूर्त में, उत्कृष्ट अष्टम भक्त अर्थात् तीन दिन बीतने पर होता है। पंचेन्द्रिय जीवों द्वारा गृहीत आहार श्रोत्रेन्द्रिय [चक्षुरिन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय और स्पर्शनेन्द्रिय] इन पाँचों इन्द्रियों के रूप में विमात्रा से बार-बार परिणत होता है। शेष सब वर्णन पूर्ववत् समझ लेना , चाहिए; यावत् वे 'अचलित कर्म की निर्जरा नहीं करते।'
[21] The same is true for human beings as well. The difference is that their desire for voluntary intake arises after a minimum gap of one Antar-muhurt (less than fourty eight minutes) and maximum gap of three days (Ashtam bhakt). Matter ingested by five-sensed beings continues to get transformed indeterminately into the five sense organs i including that of hearing (sight, smell, taste and touch). The remaining details should be read as those already mentioned up to 'they do not shed unmoving karmas.'
[२२ ] वाणमंतराणं टिईए नाणत्तं अवसेसं जहा नागकुमाराणं। ___ [२३] एवं जोइसियाण वि। नवरं उस्सासो जहन्नेणं मुहत्तपुहत्तस्स, उक्कोसेण वि मुहुत्तपुहत्तस्स।
आहारो जहन्नेणं दिवसपुहत्तस्स, उक्कोसेण वि दिवसपुहत्तस्स। सेसं तहेव। ___ [२२] वाणव्यन्तर देवों की स्थिति में भिन्नता है। (उसके सिवाय) शेष समस्त वर्णन नागकुमार में देवों की तरह समझना चाहिए।
[२३ ] इसी तरह ज्योतिष्क देवों के सम्बन्ध में भी जान लें। इतनी विशेषता है कि उनका उच्छ्वास जघन्य मुहूर्तपृथक्त्व और उत्कृष्ट भी मुहूर्तपृथक्त्व के बाद होता है। उनका आहार जघन्य दिवसपृथक्त्व से और उत्कृष्ट दिवसपृथक्त्व के पश्चात् होता है। शेष सारा वर्णन पूर्ववत् है। ___[22] There is a difference in the life-span of Vanavyantar Devas (Interstitial gods). Besides this all details are same as those of Naag 4 Kumar gods.
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प्रथम शतक : प्रथम उद्देशक
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First Shatak : First Lesson
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